॥ मेरे मोहन ॥
F:- मेरे मोहन तुम्हें अपनों को तड़पाने की आदत है -4
को तड़पाने की आदत है
पर अपनों को भी हर जुल्म सह जाने की आदत है
मेरे मोहन तुम्हें अपनों को तड़पाने की आदत है
चाहे सौ बार ठुकराओ चाहे लो इंतिहा मेरा -2
जला दो शौक से प्यारे चाहे लो आशियां मेरा -2
चाहे लो आशियां मेरा -2
शमा पर जान दे देना यह परवानों की आदत है
मेरे मोहन तुम्हें अपनों को तड़पाने की आदत है
बांधकर प्रेम की डोरी से तुमको खींच लाऊंगा -2
तुम्हें आना पड़ेगा श्याम मैं जब भी बुलाऊंगा -2
कि मैं जब भी बुलाऊंगा -2
के दामन से लिपट जाना यह दीवानों की आदत है
मेरे मोहन तुम्हें अपनों को तड़पाने की आदत है -4
को तड़पाने की आदत है
पर अपनों को भी हर जुल्म सह जाने की आदत है
मेरे मोहन तुम्हें अपनों को तड़पाने की आदत है
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