नाम लेते बन जाते है सारे बिगड़े काम -२
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बालाजी हनुमान
मन में सूरत राम की और मुख में राम का नाम नाम नाम
ऐसे बजरंगी हनुमान .............................
बाल रूप में रवि को निगले घोर अँधेरा छाया
देव लोक में सब घबराये कुछ भी समझ ना आया
इंद्र के वज्र को सहन किये तब नाम पड़ा हनुमान
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बालाजी हनुमान
सारी सेना थक के हरी मसीह तक पता लगाए
घोर से पहले लाके संजीवनी लक्ष्मण के प्राण बचाये
कर न सके तीनो लोक में कोई ऐसे किये काम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बालाजी हनुमान
एक दिन था दरबार लगा उस दिन का खेल निराला
हनुमान को मात सिया ने दी मोतियन की माला
मिथ्या लागे बजरंग को उसमे ना थे राम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बालाजी हनुमान
मन में सूरत राम की और मुख में राम का नाम नाम नाम
ऐसे बजरंगी हनुमान .............................
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