अगड़ बम ब बम भोले ............
जटा में गंगा डमरू बजाता रहता वो कैलाश में
अंग में भस्म रमाये देखो बैठा वो श्मशान में
गले में पहने सर्पो की माला केता विष का पान हे
मेरा भोला कालो का काल महाकाल हे ....
बोलो ॐ नमः शिवाय -४
१
माथे चंदा चम चम चमके त्रिनेत्र त्रिपुरारी हे
तन पे बाहँबर जो पहने करता नंदी सवारी हे
अजय अमर अविनाशी शम्भु ॐ नमः शिवाय
अजय अमर अविनाशी शम्भु कण कण में तेरा वास हे
मेरा भोला कालो का काल महाकाल हे ....
बोलो ॐ नमः शिवाय -४
२
हाथ में त्रिशूल तांडव करे जो नटराज वो नटेश्वर हे
अमृत बाट के विष को पी गया नीलकंठ वो महेश्वर हे
देवो के वो देव महादेव ॐ नमः शिवाय
देवो के वो देव महादेव करुणामय निराकार हे
मेरा भोला कालो का काल महाकाल हे ....
बोलो ॐ नमः शिवाय -४
३
जटा में गंगा डमरू बजाता रहता वो कैलाश में
अंग में भस्म रमाये देखो बैठा वो श्मशान में
गले में पहने सर्पो की माला केता विष का पान हे
मेरा भोला कालो का काल महाकाल हे ....
बोलो ॐ नमः शिवाय -४
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