मेहंदीपुर की नगरी में बालाजी का ठिकाना है
दिन रात खुशियों का जहाँ बटता खजाना है
मेहंदीपुर की नगरी में बालाजी का ठिकाना है
१
जहाँ पूरी जीवन की हार आस होती है
होती ना पल दो पल दिन रात होती है
बात यही दुनिया की तीनो लोको ने माना है
२
आती जहाँ दुनिया है दुखड़े सुनाने को
बालाजी भी बैठे है हमे अपना बनाने को
दुखो में जो राहत दे यही अंगना सुहाना है
३
मेहंदीपुर में सबको ही इन्साफ मिलता है
यहाँ फल कर्मो का हाथो हाथ मिलता है
बालाजी के आगे ना कोई चलता बहाना है
लेखक :- सुखदेव निषाद
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