Current Date: 17 Nov, 2024

मीनाक्षी मंदिर

- Traditional


भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित मदुरई शहर की वैगई नदी के किनारे स्थित है मिनाक्षी अम्मन मंदिर। यह एक ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर है जो की माता पार्वती को समर्पित है। माता पार्वती को यहां पर मिनाक्षी नाम से जाना जाता है और शिवजी को सुंदरेश्वर के नाम से। यह मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है तथा आकर्षण में भी यह मंदिर विशेष है।

मंदिर का इतिहास:-

मंदिर का मुख्य परिसर
यह मंदिर लगभग 3500 वर्ष पुराना बताया जाता है, किन्तु इसका आधुनिक ढांचा और बाहरी निर्माण लगभग 1500-2000 वर्ष पुराना है। तमिल साहित्य में इस मंदिर की चर्चा 7 वीं शताब्दी से भी पूर्व की है। इस मंदिर में एक मुग़ल शासक मलिक कपूर द्वारा 1310 में खूब लूटपाट की गयी थी और इस मंदिर को नष्ट भी किया गया, किन्तु तत्कालीन राजाओं ने इसके पुनर्निर्माण का कार्यभार उठाया। यह मंदिर पूरे 45 एकड़ की भूमि में फैला हुआ है, जिसमे मुख्य मंदिर की लम्बाई 254 मीटर और चौड़ाई 237 मीटर है।

पौराणिक कथा :-

पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने मदुरई के पांड्य राजा मलयध्वज की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। उस अवतार में उनका नाम मीनाक्षी था, वे अत्यंत सुन्दर थीं। उनसे विवाह करने के लिए भगवान शिव ने भी पृथ्वी पर सुंदरेश्वर रूप में जन्म लिया। शिवजी भी इस रूप में अत्यंत सुन्दर थे, वयस्क होने पर उन्होंने मिनाक्षी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

यह विवाह अत्यंत सुन्दर और भव्य था, इस विवाह में नगर वासियों के अलावा देवता भी सम्मिलित हुए थे। स्वयं भगवान विष्णु, जो एक रूप में माता पार्वती के भाई भी हैं, इस विवाह में सम्मिलित होने बैकुंठ से आये। उन्होंने ही इस विवाह का सञ्चालन करना था किन्तु इंद्र के कारण उन्हें थोड़ा विलम्भ हो गया। उनके समय पर न पहुंचने पर विवाह का सञ्चालन स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा किया गया। जब विष्णु ने देखा की उनके बिना ही विवाह संपन्न हो गया है तो वे अत्यंत रुष्ट हुए और उन्होंने मदुरई में कदम न रखने की प्रतिज्ञा कर ली। वे नगर की सीमा से ही लगे पर्वत पर चले गए, बाद में उन्हें सभी देवताओं ने मिलकर मनाया और उन्होंने ही अंत में विवाह पूर्ण कराया।

यह विवाह की घटना तथा भगवान विष्णु को मानाने की क्रिया मदुरई के सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाई जाती है। इन पर्वों को क्रमशः चितिरई तिरुविझा और  अझकर तिरुविझा कहते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर देवराज इंद्र द्वारा स्थापित किया गया था, इसलिए आज भी त्यौहार की शोभा यात्रा में इंद्रदेव को भी शामिल किया जाता है।

मंदिर की विशेषता :-

मुख्य प्रतिमा का प्रतिरूप
यह सुन्दर मंदिर देवी मिनाक्षी तथा भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर की स्थापना देवराज इंद्र द्वारा की गयी थी। इस मंदिर का गर्भगृह सबसे अधिक पुरातन है, जो लगभग 3000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। इस मंदिर में कुल 12 प्रवेश द्वार हैं, जो की लगभग 40 मीटर उंचे हैं और इन पर देवी देवताओं के चित्र अंकित किये गए हैं।

मंदिर में कुल 985 स्तंभ और 24 टावर हैं। मंदिर के आठ खम्बों पर देवी लक्ष्मी जी की भी प्रतिमाएं बनी हैं। मंदिर में देवी पार्वती के अलावा और देवी देवताओं की भी सुन्दर प्रतिमाएं हैं। यहां प्रत्येक शुक्रवार को मीनाक्षी देवी तथा सुन्दरेश्वर भगवान की स्वर्ण प्रतिमाओं को झूले में झुलाते हैं तथा हज़ारों की संख्या में भक्त इस उत्सव में पहुंचते हैं। इस मंदिर से जुड़ा सबसे अहम उत्सव है मीनाक्षी तिरुकल्याणं जिसका आयोजन चैत्र मास में होता है।

दर्शन का प्रारूप :-

मंदिर के द्वार दर्शनों के लिए प्रातः काल 5:00 बजे खुलते हैं और दोपहर 12:30 बजे बंद किये जाते हैं। फिर सांयकाल में 4:00 बजे से रात 9:30 तक दर्शन उपलब्ध होते हैं।

प्रातःकाल 5:00 बजे से 6:00 बजे तक थिरुवनंदल पूजा की जाती है उसके बाद 7:15 बजे तक अन्य पूजाएं और विधियां की जाती है। फिर 10:30 से 11:15 तक थ्रिकालसंधि पूजा की जाती है और अंत में रात्रि को 9:30 से 10:00 बजे दिन की अंतिम पूजा की जाती है।

कैसे पहुंचे?:-

उड़ान द्वारा:

उत्सव में सजा मीनाक्षी मंदिर
चेन्नई का हवाई अड्डा देश के सभी बड़े हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है, इसलिए आप पहले चेन्नई पहुंचकर वहां से मदुरई के लिए फ्लाइट बदलें। मदुरई हवाई अड्डे पर चेन्नई के मीनांबक्कम हवाई अड्डे से यात्रा का समय लगभग 90 मिनट होगा। मदुरई हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप उस के पास ही उपलब्ध टैक्सी की बुकिंग करके मीनाक्षी अम्मा मंदिर तक पहुंच सकते हैं। हवाई अड्डे से मीनाक्षी अम्मान मंदिर तक पहुंचने में भी लगभग 90 मिनट लग सकते हैं।

ट्रेन द्वारा:

चेन्नई के एग्मोर रेलवे स्टेशन से ट्रेन शुरू होती है जो मदुरई जंक्शन पर 8 घंटे में पहुँचती है। चेन्नई का रेलवे स्टेशन भी देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है अतः  यात्री यहाँ से मदुरई के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं। मदुरई जंक्शन रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के बाद, मीनाक्षी अम्मान मंदिर तक पहुंचने के लिए सिर्फ 1.70 किलोमीटर की दूरी  तय करनी होगी। आप 10 मिनट के भीतर मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटोरिक्शा या टैक्सी ले सकते हैं।

बस द्वारा:

आप चेन्नई किसी भी साधन से पहुंचकर यहां से मदुरई के लिए राज्य सरकार द्वारा बस या निजी बस द्वारा भी यात्रा कर सकते हैं।  चेन्नई के कोयमबेडु में चेन्नई सीएमबीटी बस टर्मिनस से आपको बस पकड़नी होगी। यहां से आपको 7 से 8 घंटे की यात्रा करके मदुरई के मथुथवानी बस स्टैंड पर उतरना होगा। यहाँ से टैक्सी, शेयर ऑटो या बस द्वारा मीनाक्षी अम्मान मंदिर तक पहुंचने में लगभग 20 मिनट लगेंगे।

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