छठ पूजा 2023 को मन्नतों का पर्व कहा जाता है. सूर्य देवता की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. छठ पूजा में व्रती संध्या अर्घ्य छठी मैया को देते हैं. सुबह का अर्घ्य उगते सूर्य देवता को दिया जाता है. अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि कार्तिक मास में सूर्य देव को अर्घ्य देने से बहुत लाभ मिलता है. छठ की ये पूजा भी इसी दौरान होती है.
अर्घ्य देने का महत्व
छठ की पूजा चार दिवसीय होती है. इस दौरान सूर्य देव की उपासना करने से मान सम्मान और तरक्की मिलती है. ज्योतिष के मुताबिक सूर्य एक ऐसा ग्रह से जिसके ईर्द गिर्द आठ ग्रह चक्कर लगाते हैं. नव ग्रहों में सूर्य राजा माने जाते हैं. सूर्य को पिता का कारक भी माना जाता है. व्रती अगर इनको नियमित रूप से छठ के दौरान अर्घ्य देते हैं तो घर में बरकत और जीवन में सफलता हासिल होती है.
कौन-कौन कर सकते छठ?
छठ पूजा का व्रत कोई भी इंसान कर सकता. हालांकि इस व्रत को मां अपने बच्चों के लिए करती हैं. घर की बरकत के लिए करती हैं. पिता भी छठ का व्रत करते हैं. ये भी देखा जाता है कि कई कुंवारी कन्या और पुरुष भी छठ का व्रत रखते हैं. हालांकि व्रत कोई भी इंसान रख सकता बस ध्यान रखना होता कि इसे पूरे विधान के साथ करें. बीच में इस व्रत को नहीं छोड़ सकते.
इस दौरान जो भी छठ पूजा करे उनको सूर्य देव की उपासना करनी होती. 36 घंटे का निर्जला उपवास रखना होता है. छठ पूजा के सभी नियमों का पालन करना होता है. सबसे जरूरी बात है कि इस पर्व को करने के बाद उसे हमेशा इसका पालन करना होता है. इसलिए जरूरी है कि व्रती बनने से पहले पूजा के बारे में सभी चीजें जान लें.
व्रतियों को विशेष बातों का रखना चाहिए ध्यान
छठ पूजा में व्रतियों को विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. गंदे हाथों से प्रसाद नहीं बनाना चाहिए. सूर्य देवता को जिस बर्तन में अर्घ्य देते हों वो ग्लास, स्टेनलेस स्टील या चांदी का नहीं होना चाहिए. छठ पूजा का प्रसाद उस जगह नहीं बनाना चाहिए जहां खाना बनता है. किसी साफ-सफाई वाली अलग जगह पर प्रसाद बनाना चाहिए. प्रसाद में केला चढ़ाना जरूरी है. व्रतियों को फर्श पर चादर डालकर सोना चाहिए. किसी भी इंसान को छठ का व्रती बनने से पहले पूजा के सारे नियम कानून अवश्य जान लेनी चाहिए ताकि मन से पूजा हो तो सुखमय फल की प्राप्ति हो सके.
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