माता सीता धरती में क्यों समा गयी थी
माता सीता से मांगी गयी उनके चरित्र की प्रमाणिकता
जब लव कुश बड़े हो गए तब वे दोनों अपने गुरु वाल्मीकि के आदेशानुसार अयोध्या में गए तथा सभी को रामायण कथा सुनायी। अंत में उन्होंने राज दरबार में स्वयं को श्रीराम तथा माता सीता का पुत्र बताया। इसके पश्चात अयोध्या की प्रजा के द्वारा इस पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया। श्रीराम ने जब यह सुना तो लोकमत को ध्यान में रखकर उन्होंने सीता को स्वयं यहाँ आकर इसका प्रमाण देने को कहा तथा अपनी शुद्धता की शपथ लेने का आदेश दिया।
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माता सीता का भूमि में समाना
माता सीता ने जब यह सुना तो उनका मन कुंठित हो गया। इतने वर्षों से अयोध्या की प्रजा के मत को ध्यान में रखकर वे वन में रह रही थी तथा इसके पश्चात भी उनकी शुद्धता का प्रमाण माँगा जा रहा था। इसलिये उन्होंने इस अपवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर देने का निश्चय किया जिससे आगे कभी यह समस्या खड़ी ही न हो।
जब माता सीता राज दरबार में पहुंची तो वहां सभी के सामने उन्हें अपनी शुद्धता की शपथ लेने को कहा गया। यह सुनकर माता सीता ने सभी के सामने शपथ ली कि यदि उन्होंने मन, वचन तथा कर्म से केवल भगवान श्रीराम की ही आराधना की हैं तथा उन्हें ही अपना पति माना हों तो इसी समय यह धरती फट जाये तथा वे उसमे समा जाये।
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माता सीता के इतना कहते ही एक जोरदार गर्जना हुई तथा धरती फट कर दो हिस्सों में बंट गयी। उसमे से धरती माँ अवतरित हुई तथा माता सीता को अपने साथ लेकर चली गयी। इस प्रकार माता सीता ने स्वयं के लिए उपजे इस विवाद को हमेशा के लिए शांत कर दिया।
Why did Mother Sita get buried in the earth
The authenticity of her character was sought from Mata Sita
When Luv and Kush grew up, both of them went to Ayodhya as per the orders of their Guru Valmiki and narrated the Ramayana story to everyone. In the end, he called himself the son of Shri Ram and Mother Sita in the Raj Darbar. After this, a question mark was put on it by the people of Ayodhya. When Shri Ram heard this, keeping public opinion in mind, he asked Sita to come here herself to testify and ordered her to take an oath of chastity.
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Mother Sita's transformation into land
When mother Sita heard this, her mind became frustrated. For so many years she was living in the forest keeping in mind the opinion of the people of Ayodhya and even after that the proof of her chastity was being sought. That's why he decided to end this exception forever so that this problem never arises again.
When Mata Sita reached the royal court, she was asked to take an oath of chastity in front of everyone there. Hearing this, Mother Sita took an oath in front of everyone that if she had worshiped only Lord Shriram with mind, words and deeds and considered him as her husband, then this earth would explode at the same time and she would get absorbed in it.
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As soon as Mother Sita said this, there was a loud roar and the earth split into two parts. Mother Earth descended from him and took Sita with her. In this way Mother Sita pacified this dispute that had arisen for herself forever.
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