Current Date: 17 Nov, 2024

मस्त मलंग

- Chirag Sapra


बम बम भोले बम बम 
डिमग डिमग डिम डमरू बजदा माथे उत्थे चंदा सजदा 
नंदी पैर व झांजर नचदा खाके भंग दा गोला मस्त मलंग हो नचदा 
मेरा शंकर भजोला मस्त मलंग हो नचदा 
हथ पे डमरू पेरी घुंगरू मुख पे तेज निराला 
जटा वटाये भस्म रमाये तन पे सजे मृगशाला 
गंगाजल तेरी जटा चमकता पावन धर तेरा चोला हो
मस्त मलंग  हो नचदा मेरा शंकर भजोला मस्त मलंग हो नचदा 
भूत प्रेत की लेके फोजा गोरा ब्यावण आया 
सुल्फे लाला इन भुता ने फुकरा रंग जमाया 
गज गज गज गज बदराभी गजरे  रजा भंग दा झोला 
हो नचदा मेरा शंकर भजोला मस्त मलंग हो नचदा 
अमरनाथ की अमर कहानी जग ये सारा जाने 
शक्ति तेरी औघड़ दानी दुनिया सारी माने
कलयुग की तेरी इस दुनिया में मचा नाम का रोला 
हो नचदा मेरा शंकर भजोला मस्त मलंग हो नचदा 
कैलाश पहाड़ा के अंदर आसन महादेव ने लाया 
नीलकंठ श्मशान निवासी नीलकंठ कहलाया 
काला का तू काल कहाँदा पर चिराग दा भोला 
हो नचदा मेरा शंकर भजोला मस्त मलंग हो नचदा

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