Current Date: 05 Jan, 2025

प्रभु मेरे मन को

- Minakshi Mazumdar


अथ कथमपि मद्रासनां
त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १ ॥

आखण्डलमदखण्डनपण्डित
तण्डुप्रिय चण्डीश विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २ ॥

इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुर
पहरणोज्ज्वलनयन विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३ ॥

ईश गिरीश नरेश परेश
महेश बिलेशयभूषण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४ ॥

उमया दिव्यसुमङ्गलविग्रहया
लिङ्गितवामाङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ५ ॥

ऊरीकुरु मामज्ञमनाथं
दूरीकुरु मे दुरितं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ६ ॥

ऋषिवरमानसहंस चराचरजनन
स्थितिलयकारण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ७ ॥

ॠक्षाधीशकिरीट महोक्षारूढ
विधृतरुद्राक्ष विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ८ ॥

लृवर्णद्वन्द्वमवृन्तसुकुसुममिवाङ्घ्रौ
तवार्पयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ९ ॥

एकं सदिति श्रुत्या त्वमेव
सदसीत्युपास्महे मृड भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १० ॥

ऐक्यं निजभक्तेभ्यो वितरसि
विश्वम्भरोऽत्र साक्षी भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ११ ॥

ओमिति तव निर्देष्ट्री मायास्माकं
मृडोपकर्त्री भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १२ ॥

औदास्यं स्फुटयति विषयेषु
दिगम्बरता च तवैव विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १३ ॥

अन्तःकरण विशुद्दिं भक्तिं च
त्वयि सतीं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १४ ॥

अस्तोपाधिसमस्तव्यस्तै
रूपैर्जगन्मयोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १५ ॥

करुणावरुणालय मयि दास
उदासस्तवोचितो न हि भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १६ ॥

खलसहवासं विघटय घटय
सतामेव सङ्गमनिशं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १७ ॥

गरलं जगदुपकृतये गिलितं
भवता समोऽस्ति कोऽत्र विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १८ ॥

घनसारगौरगात्र प्रचुरजटाजूट
बद्धगङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १९ ॥

ज्ञप्तिः सर्वशरीरेष्वखण्डिता या
विभाति सा त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २० ॥

चपलं मम हृदयकपिं विषयद्रुचरं
दृढं बधान विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २१ ॥

छाया स्थाणोरपि तव तापं
नमतां हरत्यहो शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २२ ॥

जय कैलाशनिवास प्रमथ
गणाधीश भूसुरार्चित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २३ ॥

झणुतकझङ्किणुझणुतत्किण्टतक-
शब्दैर्नटसि महानट भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २४ ॥

ज्ञानं विक्षेपावृतिरहितं कुरु मे
गुरुस्त्वमेव विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २५ ॥

टङ्कारस्तव धनुषो दलयति
हृदयं द्विषामशनिरिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २६ ॥

ठाकृतिरिव तव माया बहिरन्तः
शून्यरूपिणी खलु भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २७ ॥

डम्बरमम्बुरुहामपि दलयत्यनघं
त्वदङ्घ्रियुगलं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २८ ॥

ढाक्काक्षसूत्रशूलद्रुहिणकरोटी-
-समुल्लसत्कर भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २९ ॥

णाकारगर्भिणी चेच्छुभदा ते
शरगतिर्नृणामिह भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३० ॥

तव मन्वतिसञ्जपतः सद्यस्तरति
नरो हि भवाब्धिं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३१ ॥

थूत्कारस्तस्य मुखे भूयात्ते
नाम नास्ति यस्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३२ ॥

दयनीयश्च दयालुः कोऽस्ति
मदन्यस्त्वदन्य इह वद भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३३ ॥

धर्मस्थापनदक्ष त्र्यक्ष
गुरो दक्षयज्ञशिक्षक भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३४ ॥

ननु ताडितोऽसि धनुषा
लुब्धधिया त्वं पुरा नरेण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३५ ॥

परिमातुं तव मूर्तिं नाल-
-मजस्तत्परात्परोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३६ ॥

फलमिह नृतया जनुषस्त्वत्पद-
-सेवा सनातनेश विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३७ ॥

बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुणरुचितां
चिरं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३८ ॥

भगवन्भर्ग भयापह भूतपते
भूतिभूषिताङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३९ ॥

महिमा तव न हि माति श्रुतिषु
हिमानीधरात्मजाधव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४० ॥

यमनियमादिभिरङ्गैर्यमिनो
हृदये भजन्ति स त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४१ ॥

रज्जावहिरिव शुक्तौ रजतमिव
त्वयि जगन्ति भान्ति विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४२ ॥

लब्ध्वा भवत्प्रसादान्चक्रं
विधुरवति लोकमखिलं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं
मे तव चरणयुगम् ॥ ४३ ॥

वसुधातद्धरतच्छयरथमौर्वीशर
पराकृतासुर भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४४ ॥

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद
दुर्वृत्तगर्वहरण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४५ ॥

षड्रिपुषडूर्मिषड्विकारहर
सन्मुख षण्मुखजनक विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४६ ॥

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मेत्येतल्लक्षण-
-लक्षित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४७ ॥

हाहाहूहूमुखसुरगायकगीता-
-पदानपद्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४८ ॥

लादिर्न हि प्रयोगस्तदन्तमिह
मङ्गलं सदास्तु विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४९ ॥

क्षणमिव दिवसान्नेष्यति त्वत्पद-
-सेवाक्षणोत्सुकः शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ५० ॥

॥ इति श्री सुवर्णमाला स्तुति ॥

Credit Details :

Song: Shiva Suvarnamala Stuti
Singer: Minakshi Mazumdar
Music: Gourab Shome

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