Current Date: 05 Jan, 2025
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Shiva Suvarnamala Stuti - यह एक महा शक्तिशाली स्तोत्र को सुनने मात्र से ही पूरी होती है सभी मनोकामना

- Minakshi Mazumdar


🎵प्रभु मेरे मन को🎵

🙏 गायक: मिनाक्षी मजूमदार
🎼 संगीत: गौरव शोम

विवरण:
शिव सुवर्णमाला स्तुति, मिनाक्षी मजूमदार द्वारा गाया गया एक अद्भुत भक्ति गीत है, जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तुति में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और भक्त उन्हें शरण में लेते हैं। 'साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर' जैसे मंत्रों का उच्चारण कर भक्त भगवान शिव से कृपा की याचना करते हैं। इस भक्ति गीत के माध्यम से शिव भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में शांति का संचार होता है।

गीत के बोल:
अथ कथमपि मद्रासनां
त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १ ॥

आखण्डलमदखण्डनपण्डित
तण्डुप्रिय चण्डीश विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २ ॥

इभचर्माम्बर शम्बररिपुवपुर
पहरणोज्ज्वलनयन विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३ ॥

ईश गिरीश नरेश परेश
महेश बिलेशयभूषण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४ ॥

उमया दिव्यसुमङ्गलविग्रहया
लिङ्गितवामाङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ५ ॥

ऊरीकुरु मामज्ञमनाथं
दूरीकुरु मे दुरितं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ६ ॥

ऋषिवरमानसहंस चराचरजनन
स्थितिलयकारण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ७ ॥

ॠक्षाधीशकिरीट महोक्षारूढ
विधृतरुद्राक्ष विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ८ ॥

लृवर्णद्वन्द्वमवृन्तसुकुसुममिवाङ्घ्रौ
तवार्पयामि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ९ ॥

एकं सदिति श्रुत्या त्वमेव
सदसीत्युपास्महे मृड भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १० ॥

ऐक्यं निजभक्तेभ्यो वितरसि
विश्वम्भरोऽत्र साक्षी भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ११ ॥

ओमिति तव निर्देष्ट्री मायास्माकं
मृडोपकर्त्री भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १२ ॥

औदास्यं स्फुटयति विषयेषु
दिगम्बरता च तवैव विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १३ ॥

अन्तःकरण विशुद्दिं भक्तिं च
त्वयि सतीं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १४ ॥

अस्तोपाधिसमस्तव्यस्तै
रूपैर्जगन्मयोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १५ ॥

करुणावरुणालय मयि दास
उदासस्तवोचितो न हि भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १६ ॥

खलसहवासं विघटय घटय
सतामेव सङ्गमनिशं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १७ ॥

गरलं जगदुपकृतये गिलितं
भवता समोऽस्ति कोऽत्र विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १८ ॥

घनसारगौरगात्र प्रचुरजटाजूट
बद्धगङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ १९ ॥

ज्ञप्तिः सर्वशरीरेष्वखण्डिता या
विभाति सा त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २० ॥

चपलं मम हृदयकपिं विषयद्रुचरं
दृढं बधान विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २१ ॥

छाया स्थाणोरपि तव तापं
नमतां हरत्यहो शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २२ ॥

जय कैलाशनिवास प्रमथ
गणाधीश भूसुरार्चित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २३ ॥

झणुतकझङ्किणुझणुतत्किण्टतक-
शब्दैर्नटसि महानट भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २४ ॥

ज्ञानं विक्षेपावृतिरहितं कुरु मे
गुरुस्त्वमेव विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २५ ॥

टङ्कारस्तव धनुषो दलयति
हृदयं द्विषामशनिरिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २६ ॥

ठाकृतिरिव तव माया बहिरन्तः
शून्यरूपिणी खलु भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २७ ॥

डम्बरमम्बुरुहामपि दलयत्यनघं
त्वदङ्घ्रियुगलं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २८ ॥

ढाक्काक्षसूत्रशूलद्रुहिणकरोटी-
-समुल्लसत्कर भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ २९ ॥

णाकारगर्भिणी चेच्छुभदा ते
शरगतिर्नृणामिह भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३० ॥

तव मन्वतिसञ्जपतः सद्यस्तरति
नरो हि भवाब्धिं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३१ ॥

थूत्कारस्तस्य मुखे भूयात्ते
नाम नास्ति यस्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३२ ॥

दयनीयश्च दयालुः कोऽस्ति
मदन्यस्त्वदन्य इह वद भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३३ ॥

धर्मस्थापनदक्ष त्र्यक्ष
गुरो दक्षयज्ञशिक्षक भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३४ ॥

ननु ताडितोऽसि धनुषा
लुब्धधिया त्वं पुरा नरेण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३५ ॥

परिमातुं तव मूर्तिं नाल-
-मजस्तत्परात्परोऽसि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३६ ॥

फलमिह नृतया जनुषस्त्वत्पद-
-सेवा सनातनेश विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३७ ॥

बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुणरुचितां
चिरं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३८ ॥

भगवन्भर्ग भयापह भूतपते
भूतिभूषिताङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ३९ ॥

महिमा तव न हि माति श्रुतिषु
हिमानीधरात्मजाधव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४० ॥

यमनियमादिभिरङ्गैर्यमिनो
हृदये भजन्ति स त्वं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४१ ॥

रज्जावहिरिव शुक्तौ रजतमिव
त्वयि जगन्ति भान्ति विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४२ ॥

लब्ध्वा भवत्प्रसादान्चक्रं
विधुरवति लोकमखिलं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं
मे तव चरणयुगम् ॥ ४३ ॥

वसुधातद्धरतच्छयरथमौर्वीशर
पराकृतासुर भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४४ ॥

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद
दुर्वृत्तगर्वहरण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४५ ॥

षड्रिपुषडूर्मिषड्विकारहर
सन्मुख षण्मुखजनक विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४६ ॥

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मेत्येतल्लक्षण-
-लक्षित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४७ ॥

हाहाहूहूमुखसुरगायकगीता-
-पदानपद्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४८ ॥

लादिर्न हि प्रयोगस्तदन्तमिह
मङ्गलं सदास्तु विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४९ ॥

क्षणमिव दिवसान्नेष्यति त्वत्पद-
-सेवाक्षणोत्सुकः शिव भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ५० ॥

॥ इति श्री सुवर्णमाला स्तुति ॥

Credit Details :

Song: Shiva Suvarnamala Stuti
Singer: Minakshi Mazumdar
Music: Gourab Shome

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