कोरस :- जय श्री राम जय हनुमान जय श्री राम जय हनुमान
आ अअअ अअअ ........................
M:- भक्तो बड़े प्रेम से बोलिये जय श्री राम
कोरस :- जय श्री राम
M:- जय जय श्री हनुमान
कोरस :- जय जय श्री हनुमान
M:- भक्तजनो भगवान राम के परम भक्त अंजनी लाला केसरी नंदन श्री हनुमान जी की कृपा जिसपे भी हो जाती वो भक्त जीवन के सकल सुख भोगकर अंत में प्रभु राम के चरणों को प्राप्त करता है जो भक्त श्री हनुमन जी के पावन मंगलवार के व्रत को करता है उन्हें सिंदूर और तेल अर्पण करता है लाल पुष्पों से उनका श्रृंगार करता है साय काल में आरती चालीसा करने के पश्चात गेहू और गुड़ का बना मीठा प्रसाद ग्रहण करता है वो प्राणी जीवन में सदैव श्री हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करता है |तो आइये हम भी सुनते है श्री हनुमान जी के पावन मंगलवा की संगीतमय व्रत कथा
एक बार फिर बड़े प्रेम से बोलिये
बोलिये मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र जी की
कोरस :- जय
M:- राम के नाम को भक्तो डालो मन में हनुमान को ध्यालोहो कल्याण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
M:- मंगलवार व्रत कथा पावन भक्ति में रम जाता तन मन ले जो नाम जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
M:- एक समय की बात है भक्तो ऋषि नगर में केशव दत्त नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजनी के साथ जीवन यापन करता था पूजा पाठ क्रिया इत्यादि कराने से जो धन उसे मिलता उससे उसके परिवार का गुजर बसर हो ही जाता था जीवन में सब सुख ही सुख था बस एक ही दुःख उन दोनों को खाये जाता था की उनकी कोई संतान नहीं थी दोनों प्रभु श्री राम जी और हनुमाना जी के परम भक्त थे हर मंगलवार को श्री हनुमान जी का व्रत करते थे उन्हें तेल व् सिंदूर प्रदान करते थे लाल पुष्पों की माला उनके चरणों में अर्पित करते थे साय काल आरती चालीसा के पश्चात् एक समय ही गुड़ और गेहू का मीठा बना प्रसाद ग्रहण करते थे और बार बार हनुमान जी से केवल ही प्रार्थना करते
सब कुछ हनुमत तुमने दिया है हर कारज जो पूर्ण किया है
राम के कारज करने वाले तुम ही रक्षक तुम रखवाले
बाबा तू है झोली खाली आये दर पे बनके सवाली है हनुमान जी
दो संतान का दान जी
कोरस :- दो संतान का दान जी
M:- राम के नाम को भक्तो गा लो मन में हनुमान को ध्यालो हो कल्याण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
जय श्री राम जय हनुमान
M:- धीरे धीरे आठ मंगलवार व्यतीत हो गए भक्तो परन्तु दोनों की झोली आज भी संतान सुख से खली थी एक दिवस केशवदत्त के मन में विचार आया की क्यों ना वनो में जाकर प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के नाम का जप तप करू शायद इसी बात से प्रसन्न होकर वो उन्हें संतान का वरदान दे दे यही सोच कर केशवदत्त वनो को चला गया इधर उसकी पत्नी अंजनी पहले की तरह ही नित्य नियम से मंगलवार का व्रत करती थी परन्तु एक मंगलवार उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं था भक्तो मन भी पति वियोग में व्याकुल था उसने व्रत तो किया परन्तु साय काल गुड़ और गेहू का भोग लगाना भूल गयी अगले दिवस जब उसे अपनी भूल का ज्ञात हुआ तो उसने प्रायश्चित करने की ठानी भक्तो उसने मन में विचार किया की अगले मंगलवार तक पुरे एक सप्ताह वो भूखी प्यासी रहेगी और अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही अन्न व् जल ग्रहण करेगी
भूखी प्यासी मैं तो रहूंगी पाप का प्रायश्चित में तो करूंगी
अगले मंगल भोग लगाके मुख में दाना अन्न का रखूंगी
ना खाया अन्न का दाना अंजनी ने मन में ठाना ये विशवास जी
दे दो क्षमा का मुझे दान जी
कोरस :- दे दो क्षमा का मुझे दान जी
M:- राम के नाम को भक्तो गालो मन में हनुमान को ध्यालो हो कलयाण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
M:- पुरे एक सप्ताह तक निर्जला व्रत उपवास करने से अंजनी का स्वाश्थ धीरे धीरे खराब होने लगा भक्तो देखते देखते अगला मंगलवार भी आ गया व्रत तो उसने एक सप्ताह से रखा ही हुआ था साय काल को आरती चालीसा पढ़ने के पश्चात गुड़ और गेहू के बने प्रसाद का भोग लगाया ही था की वो मूर्छित होकर भूमि पे गिर गयी इधर हनुमान जी उसकी इस अविरल भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हुए और मूर्च्छाकाल में ही उसे दर्शन देकर पुत्र रत्न प्राप्ति का आशीर्वाद दे दिया थोड़ी देर के बाद जब अंजनी की मूर्छा समाप्त हुई तो उसने प्रसाद ग्रहण किया और प्रभु नाम जपने लगी
M:- जीवन में खुशिया थीं छायी श्री हनुमत की किरपा पायी
सुख यश वैभव सब कुछ पाया गोद में नन्हा बालक आया
वो तो राम के नाम को गाये हनुमत को निशदिन वो धयाये लेके नाम जी
जय जय तिहारी हनुमान जी
कोरस :- जय जय तिहारी हनुमान जी
M:- राम के नाम को भक्तो गालो मन में हनुमान को ध्यालो हो कलयाण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- जय श्री राम जय हनुमान
M:- कुछ समय पश्चात केशव दत्त जब वनो से वापिस आया तो क्या देखता है घर के आँगन में एक नन्हा बालक खेल रहा है घर में सुख सम्पति यश वैभव सब कुछ आ गया है कौतूहलवश अपनी स्त्री अंजनी से पूछता है की ये सब कैसे भला कैसे हो गए यह बालक कौन है तो अंजनी उसे सारी व्यथा बताती है की किस तरह से श्री हनुमान जी हम पर अपनी कृपा बरसाई हमे सुख सम्पति धन धान्य यश वैभव सब कुछ दे दिया और मेरी झोली में ये नन्हा बालक भी डाल दिया परन्तु हाय रे मानुष बुद्धि जब मनुष्य की शंशय का कीड़ा काट लेता है ना भक्तो तो उसकी बुद्धि भ्र्ष्ट हो जाती है केशवदत्त के मन में अचानक ये विचार घर कर गया अंजनी हो ना हो चरित्रहीन है और ये बालक उसके दुराचार का परिणाम है यहाँ कहकर वह बहुत क्रोध से अंजनी को बोला की वो अब उसके साथ कदापि नहीं रहेगा अगले दिवस वो और उसके पाप की निशानी बालक को उसके पीहर छोड़ देगा अंजनी ने लाख समझाया परन्तु केशदत्त न माना हारकर अंजनी हनुमान जी के चरणों में गिर गयी और रो रो कर प्रार्थना करने लगी इसपे हनुमान जी ने क्या लीला दिखाई आइये सुनते है -
हनुवंत जी फिर लीला दिखये केशव के सपनो में आये
सारा सच केशव को बताया स्वप्न में सारा भेद बताया
केशव को सब समझ में आया ये सब हनुमान की माया
हुआ विशवास जी हनुमत ने पूरी की है आस जी
कोरस :- पूरी की है आस जी
M:- राम के नाम को भक्तो गालो मन में हनुमान को ध्यालो हो कलयाण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- जय श्री राम जय हनुमान
M:- पंचमुखी हनुमान जी के स्वप्न में दर्शन पाकर केशव धन्य हो गया उसे अपनी भूल का एहसास भी हो गया सुबह नहा धोकर उसने हनुमान जी की जोत आरती भी की और अंजनी से अपने दुर्व्यवहार की क्षमा याचना की बड़े प्रेम से अपने बालक को गोद में उठा कर ढेर सारा प्यार किया तब से ही भक्तो वो सारा परिवार नित्य प्रति मंगलवार का पावन व्रत रखता श्री हनुमान जी को तेल सिंदूर अर्पित करता लाल पुष्पों से उनका और हनुमत दरबार का श्रृंगार करता साय काल को आरती चालीसा के पश्चात गुड़ और गेहू का बना मीठा भोजन अर्थार्त प्रसाद ग्रहण करता और श्री हनुमान जी की कृपा को प्राप्त करता तो देखा अपने भक्तो जिस प्रकार केशवदत्त और उसकी पत्नी अंजनी ने पावन मंगलवार के व्रत रख कर जीवन के समस्त सुख भोगे उसी तरह इस घनघोर कलयुग में भी प्राणी जब पावन मंगलवार के व्रत रखता है तो वो श्री हनुमान जी की और प्रभु राम की कृपा प्राप्त करता है
बोलिये प्रभु श्री राम चंद्र महाराज की
कोरस:- जय
M:- राम के नाम की जपलो माला पार करेंगे हनुमत बाला
भव से नैया तर जाएगी खाली झोली भर जाएगी '
इन्हे लगाओ भक्ति चंदन कर लो चरणों में तुम वंदन भव पार की
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
M:- राम के नाम को भक्तो गालो मन में हनुमान को ध्यालो हो कलयाण जी
किरपा करेंगे हनुमान जी
कोरस :- किरपा करेंगे हनुमान जी
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।