मंगलवार व्रत कथा
ऋषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था। केशवदत्त के घर में धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर में सभी केशवदत्त का सम्मान करते थे, लेकिन केशवदत्त संतान नहीं होने से बहुत चिंतित रहता था।
दोनों पति-पत्नी प्रति मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करते थे। विधिवत मंगलवार का व्रत करते हुए कई वर्ष बीत गए। ब्राह्मण बहुत निराश हो गया, लेकिन उसने व्रत करना नहीं छोड़ा।
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कुछ दिनों के बाद केशवदत्त हनुमानजी की पूजा करने के लिए जंगल में चला गया। उसकी पत्नी अंजलि घर में रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी। दोनों पति-पत्नी पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार का विधिवत व्रत करने लगे। अंजलि ने अगले मंगलवार को व्रत किया लेकिन किसी कारणवश उस दिन अंजलि हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी और उस दिन वह सूर्यास्त के बाद भूखी ही सो गई।
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अगले मंगलवार को हनुमानजी को भोग लगाए बिना उसने भोजन नहीं करने का प्रण कर लिया। छः दिन तक अंजलि भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमानजी की पूजा की, लेकिन तभी भूख-प्यास के कारण अंजलि बेहोश हो गई।
हनुमानजी ने उसे स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- ‘उठो पुत्री! मैं तुम्हारी पूजा-पाठ से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हें सुंदर और सुयोग्य पुत्र होने का वर देता हूं।’ यह कहकर हनुमानजी अंतर्धान हो गए। तत्काल अंजलि ने उठकर हनुमानजी को भोग लगाया और स्वयं भोजन किया।
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हनुमानजी की अनुकम्पा से अंजलि ने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया। मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगलप्रसाद रखा गया। कुछ दिनों बाद अंजलि का पति केशवदत्त भी घर लौट आया। उसने मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा- ‘यह सुंदर बच्चा किसका है?’ अंजलि ने खुश होते हुए हनुमानजी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी। लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसके मन में पता नहीं कैसे यह कलुषित विचार आ गया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है। अपने पापों को छिपाने के लिए अंजलि झूठ बोल रही है।
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केशवदत्त ने उस बच्चे को मार डालने की योजना बनाई। एक दिन केशवदत स्नान के लिए कुएं पर गया। मंगल भी उसके साथ था। केशवदत्त ने मौका देखकर मंगल को कुएं में फेंक दिया और घर आकर बहाना बना दिया कि मंगल तो कुएं पर मेरे पास पहुंचा ही नहीं। केशवदत्त के इतने कहने के ठीक बाद मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया।
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केशवदत्त मंगल को देखकर बुरी तरह हैरान हो उठा। उसी रात हनुमानजी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- ‘तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर, पुत्रजन्म का वर मैंने दिया था। फिर तुम अपनी पत्नी पर शक क्यों करते हो?
उसी समय केशवदत्त ने अंजलि को जगाकर उससे क्षमा मांगते हुए स्वप्न में हनुमानजी के दर्शन देने की सारी कहानी सुनाई। केशवदत्त ने अपने बेटे को हृदय से लगाकर बहुत प्यार किया। उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे।
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मंगलवार का विधिवत व्रत करने से केशवदत्त और उनके सभी कष्ट दूर हो गए। इस तरह जो स्त्री-पुरुष विधिवत मंगलवार का व्रत करके व्रतकथा सुनते हैं, हनुमानजी उनके सभी कष्ट दूर करके घर में धन-संपत्ति का भंडार भर देते हैं। शरीर के सभी रक्त विकार के रोग भी नष्ट हो जाते हैं।
Tuesday fast story
Keshavdutt Brahmin lived with his wife Anjali in Rishinagar. There was no dearth of wealth in Keshavdutt's house. Everyone in the city respected Keshavdatta, but Keshavdatta was very worried about not having children. Both husband and wife used to worship Hanumanji every Tuesday. Many years have passed by duly fasting on Tuesday. The Brahmin was very disappointed, but he did not stop fasting.
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After a few days, Keshavdutt went to the forest to worship Hanumanji. His wife Anjali stayed at home and started fasting on Tuesdays. Both the husband and wife started fasting on Tuesday for the birth of a son. Anjali fasted on the next Tuesday, but due to some reason, Anjali could not offer bhog to Hanumanji that day and went to bed hungry after sunset.
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On the next Tuesday, he vowed not to eat food without offering food to Hanumanji. Anjali remained hungry and thirsty for six days. On Tuesday, the seventh day, Anjali worshiped Hanumanji, but then Anjali fainted due to hunger and thirst.
Hanumanji appeared to her in a dream and said - 'Get up daughter! I am very pleased with your worship. I give you the boon of having a beautiful and capable son.' After saying this, Hanumanji disappeared. Immediately Anjali got up and offered food to Hanumanji and had food herself.
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With the grace of Hanumanji, Anjali gave birth to a beautiful baby. Being born on a Tuesday, the child was named Mangalprasad. After a few days, Anjali's husband Keshav Dutt also returned home. When he saw Mangal, he asked Anjali - 'Whose beautiful child is this?' Being happy, Anjali told the whole story of Hanumanji giving darshan and giving him the boon of having a son. But Keshavdutt did not believe his words. don't know how in his mind.
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Keshavdutt planned to kill that child. One day Keshavdat went to the well for a bath. Mars was also with him. Seeing the opportunity, Keshav Dutt threw Mangal in the well and came home and made an excuse that Mangal did not reach me at the well. Just after Keshavdutt said this, Mangal returned home running.
Keshavdutt was horrified to see Mangal. The same night, Hanumanji appeared to Keshavdatta in a dream and said- 'I had given you the boon of a son, being pleased with both of you fasting on Tuesday. Then why do you doubt your wife?
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At the same time, Keshavdutt woke up Anjali and told her the whole story of seeing Hanumanji in her dream while apologizing to her. Keshavdutt loved his son very much by hugging him with his heart. After that day everyone started living happily.
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Keshavdutt and all his troubles were removed by duly fasting on Tuesday. In this way, those men and women who fast on Tuesday and listen to the story, Hanumanji removes all their troubles and fills the house with wealth. All blood disorders of the body are also destroyed.
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