Current Date: 18 Jan, 2025

मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं भजन

- Traditional


मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं,
पारस भैरू की सेवा में रम जाऊ मैं ।
नित उठ मेरे दादा के दर्शन पाऊ मैं,
बस जाऊ मैं, रम जाऊ मैं
मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं..

मैं रोज सवेरे उठके, नित फुल बगीचे जाऊ,
और ताज़े फुल मैं लेके, एक सुंदर हार बनाऊ ।
अपने हाथों से दादा को पहनाऊं मैं,
बस जाऊ मैं, रम जाऊ मैं
मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं..

जल, केसर चंदन लेके, दादा की पूजा रचाऊं,
और मातर सुकड़ी लेके, भैरू को भोग लगाऊ ।
अपने हाथों से पूजा रोज रचाऊं मैं,
बस जाऊ मैं, रम जाऊ मैं
मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं..

दादा की आरती गाऊं और उनके चरण दबाऊ,
कहुं अमर भक्ति भावो को, मीठे मैं भजन सुनाऊ ।
दादा को रोज रिझाने भक्ति सुनाऊ मैं,
बस जाऊ मैं, रम जाऊ मैं
मन करता हैं अब नाकोड़ा बस जाऊ मैं..

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