Current Date: 18 Dec, 2024

मजधार में है नैया, राहें अंजानी है

- संजय मित्तल जी।


मजधार में है नैया,
राहें अंजानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

तर्ज – एक प्यार का नगमा है।

मैं बिच भवर में हूँ,
मिलता ना किनारा है,
मेरी डूबती नैया का,
एक तू ही सहारा है,
मुझे आस किसी से नहीं,
तुझे आस बंधानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

दुनिया ने बतलाया,
तुम माझी हो अच्छे,
जो सच्चा है उसके,
तुम साथी हो सच्चे,
क्यों देर लगाते हो,
क्या नाव डुबानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

मुझसे जो चल पाती,
तुमको ना बुलाते हम,
विश्वास करो मेरा,
खुद पार लगाते हम,
बातो का वक्त नहीं,
करुणा दिखलानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

दिनों के दीनानाथ,
सब तुमको कहते है,
तेरे सेवक देखो,
तेरे दम पर रहते है,
हरदम हम भक्तो की,
तुम्हे नाव चलानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

मजधार में है नैया,
राहें अंजानी है,
मेरे बाबा सुन लो मेरी,
ये नाव पुरानी है,
मजधार में हैं नैया,
राहें अंजानी है।।

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