दिन रात सुबह शाम
तेरा रटती राहु नाम और कुछ न चाहु
तेरी भक्ति में प्रभु राम मैं पागल हो जाऊ
तेरे नाम के बिना शुरू न मेरा कोई काम हो
तन में भी मेरे राम हो और मन में भी मेरे राम हो
दर्शन जिन्हे हो जाए सपनो में
रात को आये जब मैं सो जाऊ
तेरी भक्ति में प्रभु राम मैं पागल हो जाऊ
मैं छोटी सी दास तुम्हारी
तुम मालिक संसार के
शरण तुम्हारी आन पड़ी हु
मैं दुनिया से हार के
सब को मैंने आजमाया
तेरा नाम है ठंडी छाया
सकूँ इस में पाउ
तेरी भक्ति में प्रभु राम मैं पागल हो जाऊ
इस जीवन में मेरी अपनी ना कोई पहचान है
ये चंचल बंजारा प्रभुजी इक बालक नादान है
तेरे नाम का इक सन्देश लिखता है
फौजी सुरेश दिल से मैं गाउ
तेरी भक्ति में प्रभु राम मैं पागल हो जाऊ
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