मैं नाकोड़ाजी जाऊंगा,
मैं भैरूजी को अपने दिल में बसाऊंगा,
मैं ढोल-मंजीरा लेके, गीत गुण गाऊंगा,
मैं झुमुंगा, मैं भक्ति की धूम मचाऊंगा,
मैं भैरूजी को ध्याऊंगा..
केसर चंदन धूप मैं लाऊ, फूल नहीं पूरा मधुबन लाऊ,
फलके मिठाई के थाल सजाऊ, दिप की ज्योति मैं प्रकटाऊ,
मैं पूजा राचाऊंगा, अपने दिल के भावों को मैं ना छिपाऊंगा,
मैं भैरूजी को ध्याऊंगा..
मुझको भैरूजी प्यारे लागे, प्रीत की डोरी में मुझको बांधे,
जग के रिश्ते मुझको रुलाएं, भैरूजी मुझको पास बिठाएं,
दूर नहीं जाऊंगा, इन चरणों में मैं अपना जीवन ये बिताऊंगा,
मैं भैरूजी को ध्याऊंगा..
नाकोड़ा दरबार, भैरूजी का सेवक, सारे भक्त है उनके उपासक,
मैं भी भैरूजी को वंदन करता, भैरु दादा के गुणगान करता,
मैं सबको बुलाऊंगा, भैरूजी की महिमा मैं सबको बताऊंगा,
मैं भैरूजी को ध्याऊंगा..
मैं नाकोड़ाजी जाऊंगा,
मैं भैरूजी को अपने दिल में बसाऊंगा..
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