ना में राधा ना में मीरा ना में सुदामा जैसी हूँ
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी मत पूछो में किसी हूँ
१
कौन हूँ में और क्या है दुनिया मुझे रहा कुछ होश नहीं
मैं पगली हूँ श्याम नाम की मेरा है कोई दोष नहीं
कोई मुझको कुछ भी बोले मैं ऐसी या वैसी हूँ
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी..............................
२
श्याम नाम के दिव्य रतन से मन की तिजोरी भरली है
डूब के मैंने श्याम सुधा में चाहत पूरी करली है
जैसे चाहे श्याम हमारा है में बिलकुल वैसी हूँ
मैं हूँ पागल प्रेम दीवानी............................
३
श्याम के रंग में भीग चुकी है कोई रही अब चाह नहीं
साँस चले या थम जाये अब मुझे कोई परवाह नहीं
श्याम सरोवर में मिलने की बहती नदिया जैसी हूँ
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