|| महिमा माँ वैष्णो की ||
M:- सदियों पुरानी बात में दोहराने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
क्या-क्या हुए करिश्मे वो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- कटरा शहर के पास एक घंसाली गांव था
रहता था एक भक्त वहां श्रीधर नाम का
श्रद्धा से पूजता था नित्य मां वैष्णवी को वो
नियम था रोज उसका यही सुबह शाम का
एक रोज जो हुआ था वो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- भंडारा अपने घर में था श्रीधर ने लगाया
सब गांव वासियों को भी था उसने बुलाया
कन्या के रूप में थी पहुंची आन वैष्णवी
सबको लगी परोसने पकवान वैष्णवी
फिर क्या किया था उसने वो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- केला था गोरखनाथ का था नाम भैरवनाथ
आ पहुंचा वो वहां पे अपने साथियों के साथ
कहने लगा हमें तो मांस मदिरा चाहिए
जल्दी परोसो देर ना कुछ होनी चाहिए
मां ने दिया जवाब जो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- बोली मां वैष्णवी है यह भंडारा वैष्णो
लेते नहीं है मांस मंदिरा भक्त वैष्णो
जो भी पका है भोग उसे स्वीकार लगाइए
पकवान में परोसती हूं आप खाइए
भैरव ने जो किया मैं वो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- शक्ति का था अभिमान उसे लगा अकड़ने
गुस्से में भरके वो चला कन्या को पकड़ने
दौड़ी वो कन्या वैष्णवी पर्वत पे आ गई
भैरव से बचने को वो गुफा में समा गई
आया वहां फिर कौन वो बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- आ पहुंचे हनुमान मां की रक्षा के लिए
ललकारा भैरवनाथ को फिर युद्ध के लिए
दोनों में हुआ युद्ध परिणाम ना निकला
चलता रहा यह युद्ध अंजाम ना निकला
आखिर हुआ अंजाम क्या बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- निकली मा उस गुफा से तो त्रिकुटा पे आ गई
एक दूसरी गुफा में वो फिर से समा गई
नौ माह की तपस्या उसने बैठकर वहां
फिर भी वो भैरवनाथ टलने वाला था कहां
गुस्से में मां ने जो किया बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- क्रोधित हो मां ने भैरव को फिर दी चेतावनी
काली के रूप में थी माँ लगती डरावनी
माना नहीं तो मां ने झट त्रिशूल चलाया
भैरव का शीश धड़ से था फिर मां ने उड़ाया
गिरता है शीश धड़ कहां बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- धड़ तो गिरा जहां पे अब मंदिर का द्वार है
और शीश वहां पर जहां भैरव दरबार है
अंतिम समय भैरव ने माँ से मांग ली क्षमा
खुश हो कर देती है यही वरदान उसको मां
मां ने दिया वरदान क्या बतलाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -2
M:- आएंगे जब भी भक्त जो दरबार पे मेरे
होगी अधूरी हाजरी बिन दर्श के तेरे
करके दीदार मेरा करे तुझको याद जो
देती हूं मैं वर पाएंगे मन की मुराद वो
घर-घर में दास महिमा यह पहुंचाने चला हूं -2
महिमा मां वैष्णो की मे सुनाने चला हूं
कोरस:- जय माता दी जय जय मां -4
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