Current Date: 18 Nov, 2024

महालक्ष्मी अमृतवाणी

- Rakesh Kala


महालक्ष्मी अमृतवाणी

M:- सिंधु सूता कमलेश्वरी विष्णु प्रिया है मां 
श्रीदेवी मां पंकजा पूजत शक्ल जहां 
खीर सागर विराजती श्री विष्णु केवां
अदिति अहना  और श्रेया मां लक्ष्मी के नाम 
लाल हरा परिधान है माथे मुकुट विशाल 
औरत कंठ में धारती मा मुक्तन की माल
रूप चतुर्भुज आपका शोभा भरनी ना जाए 
सूर्य सितारे चंद्रमा आपको शीश नवाय 
कोरस:- जय  जय लक्ष्मी मां-4 

 M:- दो हाथों में पुष्प है एक बर मुद्रा हार 
चौथे हाथ से भक्तों को बांट रही धन-धान 
शुक्रवार प्रिय मानती शुक्र जो मां को ध्याय
धन धान वैभव सभी जीवन में मिल जाएं  
पान सुपारी नारियल खीर मखाना भोग 
श्रद्धा से चढाईएं कट जाए सब स्रोत
उल्लूक वाहन आपका गज की हो असवार 
जिन भक्तों पर कृपा हुई हो गए भव से पार
कोरस:- जय  जय लक्ष्मी मां-4 

M:- सागर मंथन के समय प्रकट हुई मां आप
विष्णु बाम पे आई के हरे सकल संताप
सिंधु पिता हैं आपके भाता विधाता भाई
बहना अलक्ष्मी आपकी  सब है झुकाए माथ
पुत्र अट्ठारह आपके कहते वेद पुराण
आनंद कर ब्रह्म सिद्ध चिकली  उनमें प्रमुख है नाम
श्री रूप में आप हैं कमल के पुष्प विराज
लक्ष्मी रूप में आप हैं श्री विष्णु के साथ
कोरस:- जय  जय लक्ष्मी मां-4 

M:- आठ विशेष ही रूप है अष्टलक्ष्मी कहलाए
आठ रूपों को ध्याईए शक्ल सुखों को पाए 
आदि लक्ष्मी धन लक्ष्मी भानु लक्ष्मी मां
गजलक्ष्मी वीर लक्ष्मी विजय लक्ष्मी मां 
संतान लक्ष्मी है परम दे संतान का दान
विद्या लक्ष्मी रूप में  विद्या करें प्रदान
इंदु कुबेर को राजसी सत्ता करे प्रदान
धन की देवी लक्ष्मी आप को मेरा प्रणाम
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- जैसे आठ स्वरूप हैं आठ ही है अवतार
आठ अवतारों को करो श्रद्धा नमन सौ बार
महालक्ष्मी अवतार में वैकुंठ करे निवास
महालक्ष्मी घ्याते सभी जिन्हें बैकुंठ की आस 
स्वर्ग में जो है विराजिती स्वर्ग लक्ष्मी कहलाए
जो सत रूप को ध्यायेगा स्वर्ग उसे मिल जाए
तीजा रूप है राधा जी और दो लोक निवास
राधा रूप को घ्याईए मिटे शक्ल यंत्रास 
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- दक्षिणा रूप तो मैया का चौथा है अवतार
यज्ञ में मात विराजती करती भव से पार
सबके ग्रह में वास में वास करें गृह लक्ष्मी का रूप
स्वर्ग समान है करती मां सभी ग्रहों का स्वरूप
हर वस्तु में वास करें शोभा का अवतार
वस्तु अमूल्य है हो जाती मां की कृपा अपार
सूर्द कहो या रुकमणी सत्तम है अवतार
दो लोक में विराजती करती बेड़ा पार
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- राज लक्ष्मी मैया का सीताजी है स्वरुप
भूलोक में निवास करें मां के रूप अनूप
जिसने आठ अवतारों का मन से लगाया ध्यान
जीवन में सुख भोगते पूर्ण होते काम
निर्धन जो तेरा नाम ले देती धन और धान
बांझ गुहार लगाए जो देती मां संतान
नित्य नियम से मात का भक्त जो ध्यान लगाए
सौ जन्मों के कर्मों का पुण्य वही फल पाए
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- सूर्य सितारे चंद्रमा तुमरे हैं आधीन
नाम तिहारा गाये जो रहे ना दीन और हीन
सुखदाई तेरो नाम है करे दुखों का अंत
मां जीवन की बगिया में ले आती है बसंत
मां लक्ष्मी नारायणी कल्पतरू तेरो नाम
संत ऋषि मुनि गा रहे मां लक्ष्मी का नाम
लक्ष्मी शौक विनाशिनी करती शौक का नाश
ऐसी कृपा आपकी काटे काल कपास
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- शेष की सैया विराजती श्री विष्णु के वान
देव दनुज मुनि देवता जपते तेरा नाम
भाग्य की देवी लक्ष्मी देना भाग्य जगाए
हे महालक्ष्मी दास तेरे दर पे खड़ा है आए
सबके मनोरथ पद में जा कर देना परिपूर्ण 
काज किसी भी भक्तों का रहे ना मैया अपूर्व
भक्तों के प्रारब्ध को कर देना उजियार
दीन हीन कोई ना रहे सुखी रहे संसार
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4

M:- दो हाथी जैसे करें तुम्हारा मां अभिषेक
भक्त तुम्हारे आराध्य थे करते भक्ति विशेष
वैभव लक्ष्मी उपवास तो नारी जो कर जाए
मैया की कृपा परम जीवन में आ जाए
हरी प्रिया जग सुंदरी पदम पर रही विराज
पूर्ण लक्ष्मी कर रही भक्तन के सब काज
चंदन का बंधन है मां कर लीजिए स्वीकार
तिलक शरण है आपकी करना भव से पार
कोरस:- जय जय लक्ष्मी मां -4
 

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