हो महाकुंभ में गीरे रे अमृतधारी यह गाथा तेरी जग जाने-2
जग जाने यह गाथा जग जाने
हो देव भूमि का हुआ है उद्धार
यह तेरी ………………….
हो भक्तों सुन लो ध्यान लगाकर कि कुंभ की गाथा सुनाओ
1.
वो कन्या एक है कुंभ कलश यह
इसका सार बताऊ
लगते महाकुंभ है चार
नासिक प्रयागराज हरिद्वार और उज्जैन में होती जय जय कार
यह गाथा ………….
2.
पीजी इन हो ब्रह्मा शिव की शरण में शीश झुकाए
तपस्या करके गए जब हार विष्णु जी से किए गुहार
मेरी मदद करो भगवान
यह गाथा ………….
3.
मंदराचल मथनी तैयार
वासुकी नाग की रसी डार 14 रत्नों का लगा भंडार
यह गाथा ………….
4.
आपस में मच गई तकरार
छीना झपटी मारामार
छलके घट से सुधार सुधार
यह गाथा ………….
5.
हे आते हो सारापनदेव मुक्ति भी आते गंगा नहाए
जहां बसते नारायण हरी गंगा
शिप्रा गोदावरी कलकी कुंभ कलश जलधार
यह गाथा ………….
6.
अर्ध कुंभ है 6 वर्षों पर दृश्य बड़ा अलबेला
निर्मल बहे बसंत बहार
सजदी संतों की दरबार
गोता गंगा में लगाए संसार
यह गाथा ………….
7.
जप तप जोग ज्ञान रस बरसे जन गण मन हरसाय
मिश्र बंधु अशोक बेशरम जिसकी महिमा गाय
आरती भजनों से गुलजार देवगन करते जहां बिहार
आठो पर खुला है मोक्ष द्वार
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