Current Date: 22 Nov, 2024

महकने लगा जीवन

- Traditional


M:-        मेरा घर उपवन था सुना अब उपजाऊ हो गया -२
ऐसा श्याम ने सींचा बगीचा महकाऊँ हो गया -२
मिट गई सारी पीड़ा और आराम हो गया -२
ऐसा श्याम ने सींचा बगीचा

गर्दिश में मेरा ये बिता था जीवन 
चारो तरफ था अँधेरा -२
मुझे गैरो और अपनों ने दुत्कारा था 
नहीं दिखता कोई और सहारा था 
हुई रहमत जो तेरी मुझ पे मै बागवान हो गया 
ऐसा श्याम ने सींचा बगीचा

घुट घुट के जीना भी था कोई जीना 
जीना था मेरा निरर्थक -२
श्याम कृपा हुयी तो जीवन हुआ सार्थक 
अब कन्हैया में तो रहू बन के तेरा याचक 
जन्मो जन्म तक श्याम का मै कर्जदार हो गया 
ऐसा श्याम ने सींचा बगीचा

जीवन में श्याम ने रंग ऐसा घोला 
महकने लगा ये जीवन -२
पूरी अभिलाषा नहीं कोई चाहत 
अब मिलने लगी मेरी साँसों को राहत
संवारा अब तेरे दर का तलबगार हो गया 
ऐसा श्याम ने सींचा बगीचा

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