चाहे छोड़ जाए सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे गम की हो बरसात,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे छोड़ जाये सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे।।
तर्ज – हम भूल गए रे हर बात।
दुनिया चाहे कुछ भी समझे,
कोई फर्क मुझे पड़ता ही नहीं,
मुझे मेरे बाबा समझते है,
चाहे और कोई समझे ही नहीं,
चाहे रूठे हो हालात,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे छोड़ जाये सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे।।
ले ले कर परीक्षा सेवक की,
पहले खुद दूर भगाते है,
फिर भी ना छोड़े जो दामन,
उसे अपने गले लगाते है,
चाहे हो अँधेरी रात,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे छोड़ जाये सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे।।
जिसने भी इनको जाना है,
सबकुछ ही अपना माना है,
‘रखी’ कहती हर प्रेमी से,
प्रेमी का ये दीवाना है,
हर प्रेमी कहे दिन रात,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे छोड़ जाये सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे।।
चाहे छोड़ जाए सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे गम की हो बरसात,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे,
चाहे छोड़ जाये सब साथ,
मगर तेरा साथ नहीं छूटे।।
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