Current Date: 22 Nov, 2024

मानव तन पाकर के

- Anup Jalota



M:-    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    यह अनमोल जीवन अपना वृथा ही दिया उसने खो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 

M:-    गया ठग द्वारा माया ठगनी  के 
    झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे 
    गया ठग द्वारा माया ठगनी  के 
    झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे 
    छोड़ फूल बीज  काटे कलियाँ  वो जो 
    छोड़ फूल बीज  काटे कलियाँ  वो जो 
    यह अनमोल जीवन अपना वृथा ही दिया उसने खो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    
M:-    हरी तारण हार सुखो के आधार 
    है इस मानव जनम के सार 
    हरी तारण हार सुखो के आधार 
    है इस मानव जनम के सार 
    छोड़ हरी को गया संसार को  जो 
    छोड़ हरी को गया संसार को जो  
    यह अनमोल जीवन अपना वृथा ही दिया उसने खो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    
M:-    भेजा है प्रभु ने संसार में तुझे 
    मुक्त चौरासी से हो भज कर मुझे 
    भूलकर पाठ प्रभु का गया है सो जो  
    भूलकर पाठ प्रभु का गया हैसो जो  
    यह अनमोल जीवन अपना वृथा ही दिया उसने खो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
    मानव तन पाकर के भजा ना प्रभु को जो 
 

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।