Current Date: 19 Nov, 2024

माँ वैष्णो गाथा

- Satyendra Pathak



M:-        माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ पावन कथा सुनाता हूँ 
त्रेता युग की ये सत्य कथा तुम्हे आज सुनाता हूँ तुम्हे आज सुनाता हूँ 
किस लिए धरा पे आयी माँ सत्य बताता हूँ मै वो सत्य बताता हूँ 
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 

M:-        वैष्णो माँ का जन्म हुआ क्यों सुनो लगा कर ध्यान 
ये अनुपम गाथा सुने से होगा हर कल्याण 
कोरस -    होगा हर कल्याण 
M:-        श्री राम वन गमन हुआ था तैरता की है बात 
असुर का प्रकोप था जग में बिगड़े थे हालात 
कोरस :-     जग में बिगड़े थे हालात 
M:-        एक नगर था सुंदरा सा था राजा रत्नसागर 
माँ वैष्णवी ने जन्म लिया है उस राजा के घर पर 
कोरस :-     जन्म लिया है उस राजा के घर पर 
M:-        रूप अलौकिक चंदे बदन सा उसका मुख मंडल 
काले केश कपोल गोल और नैना थे उज्वल 
कोरस :-     और नैना थे उज्वल 
M:-        यहाँ से माँ की दिव्य कथा तुमको समझता हूँ तुमको समझता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
2
M:-        रत्नसागर के आंगन कन्या का जन्म हुआ 
राज हुआ आनंदित सारा राजा धन्य हुआ 
कोरस :-    सारा राजा धन्य हुआ 
M:-        स्वर्णलता सी थी वो कन्या रूप मनोहर था 
चेहरे पर था तेज सूर्य का रूप मनोहर था 
कोरस :-     सूर्य का रूप मनोहर था 
M:-        चंद्र किरण सी आभा वाली छवि निराली थी 
पता नहीं रत्नसागर को शेरो वाली थी 
कोरस :-     वो शेरो वाली थी 
M:-        रूप बड़ी गुणवान बड़ी और वेदो की ज्ञाता 
बाल रूप से युवा हो गई वो वैष्णो माता 
कोरस :-     हाँ वो वैष्णो माता 
M:-        इसके आगे क्या होता मै बतलाता हूँ मै बतलाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
3
M:-        यज्ञ हवन करवाता था वो राजा रत्नसागर 
और शिकार भी करता था वो जंगल में जा कर 
कोरस :-     वो जंगल में जा कर 
M:-        सोक था ये रत्नसागर का बड़ा शिकारी था 
रोज मारता पशु पक्षी को अत्याचारी था 
कोरस :-    वो अत्याचारी था 
M:-        अपने पिता की आदत ये कन्या को बुरी लगी 
M:-        एक रोज वो कन्या अपने पिता से कहने लगी 
कोरस :-     अपने पिता से कहने लगी 
M:-        क्यों करते हो वध पशुओं का पापा कमाते हो 
इन मासूमो के ऊपर क्यों दाया ना खाते हो 
कोरस :-     क्यों दाया ना खाते हो 
M:-        कन्या की बातो का उस पर असर दिखता हूँ उस पर असर दिखता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
4
M:-        पुत्री की बाते सुनकर वो करने लगा विचार 
वध ना करूँगा अब मै किसी का फेक दिया हथियार
कोरस :-     हाँ फेक दिया हथियार
M:-        उसी रोज रत्नसागर ने किया है ये एलान 
नहीं शिकार करेगा कोई नहीं लेगा अब जान 
कोरस :-     कोई नहीं लेगा अब जान 
M:-        वैष्णो धर्म का यही से भक्तो जग में उदय हुआ 
दया धर्म का जन्म हुआ और पाप का विलय हुआ 
कोरस :-    और पाप का विलय हुआ 
M:-        वैष्णो माँ ने वैष्णो धर्म की नीव यही डाली 
बन गई उस  राजा की पुत्री माँ वैष्णो वाली 
कोरस :-     पुत्री माँ वैष्णो वाली 
M:-        आओ अब प्रभु रामचंद्र से तुम्हे मिलता हूँ मै तुम्हे मिलता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
5
M:-        श्री राम और भरत लक्ष्मण भटक रहे वन में 
दसरथ ने वनवास दिया तुम जा के रहो वन में 
कोरस :-     तुम जा के रहो वन में 
M:-        असुरो का कर नाश राम ने ऋषि मुनि त्रास हरा 
असुर गए सुरलोक सभी फिर पावन हुयी धरा 
कोरस :-     फिर पावन हुयी धरा 
M:-        कंद मूल फल खाते हैं और कुटी में रहते है 
तीनो ही प्रसन्न मगन मन ख़ुशी में रहते है 
कोरस :-     मन ख़ुशी में रहते है 
M:-        वन में रहते वन में विचरते कई वर्ष बीता 
कैसा था दुर्भागय राम का चोरी हुयी सीता 
कोरस :-     राम का चोरी हुयी सीता 
M:-        फिर आगे अब क्या होता वो बतलाता हूँ मै वो बतलाता
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
6
M:-        इधर देखिये उस पुत्री के मन में क्या आया 
दिल में उठा वैराग था उसके माँ से बतलाया 
कोरस :-     उसके माँ से बतलाया 
M:-        हाथ जोड़कर पुत्री बोली माता से अपनी 
मुझे तपस्या की आज्ञा दो विनती है इतनी 
कोरस :-     तुमसे विनती है इतनी 
M:-        मन में जगा अनुराग है तप का जाउंगी वन में 
दे दो ये आशीष मुझे तप  करूंगी जीवन में 
कोरस :-     तप  करूंगी जीवन में 
M:-        सुन पुत्री की बात कलेजा काँप उठा माँ का 
कैसे देती आज्ञा था माँ बेटी का नाता 
कोरस :-     माँ बेटी का नाता 
M:-        हालत क्या थी उस माँ की तुमको दिखलाता हूँ मैं तुमको दिखलाता
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
7
M:-        सूनी जो बात पिता ने साड़ी चिंतित हुआ बड़ा 
लगा देखने मुँह पुत्री का राजा खड़ा खड़ा 
कोरस :-     देखा राजा खड़ा खड़ा 
M;-        प्यार से बोलै राजा सागर सुनो बिटिया रानी 
जंगल में खाना ना मिलेगा मिलेगा ना पानी 
कोरस :-     कही मिलेगा ना पानी 
M:-        जंगल में विचरण करते है हिंसक पशु प्राणी 
छोड़ दो हट तुम तप करने की करो ना मन मानी 
कोरस :-     तुम करो ना मन मानी 
M:-        तप करने की अभी तुम्हारी उम्र नहीं आयी 
सदा रही हो महल में तुमने धुप नही खायी 
कोरस :-    तुमने धुप नही खायी 
M:-        तप की हट तुम छोड़ दो बेटी मै समझता हूँ बेटी मै समझता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
8
M:-        नरम स्वरों में बोली बालिका सुनो हमारी बात 
M:-        किस कारन मेरा जन्म हुआ है मुझे है सब कुछ याद 
कोरस :-     हाँ मुझे है सब कुछ याद 
M:-        विधि का जो है विधान पिता जी होने दो उसको 
दे दो आज्ञा वन जाने की जाने दो मुझको 
कोरस :-     वन जाने की जाने दो मुझको 
M:-        करू तपस्या वन में जा कर मन में आता है 
मेरी चिंता छोड़ साथ मेरे भाग विधाता है 
कोरस :-     साथ मेरे भाग विधाता है 
M:-        लाख मनाया माता पिता ने चली नहीं उनकी 
दे दी आज्ञा उन्होंने देखो वन में जाने की 
कोरस :-    हाँ वन में जाने की 
M:-        कहाँ पहुँचती है वो बेटी ये दिखलाता हूँ तुमको ये दिखलाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
9
M:-        छोड़ महल के सुख वैभव वो लगा प्रभु का ध्यान 
M:-        पहुंच गई एकांत वास में सागर के दरमियान 
कोरस :-     हाँ सागर के दरमियान 
M:-        राम नाम में लीं हुयी माँ राम ही सुबह हो शाम 
राम नाम के सिवा नहीं था जग जननी को काम 
कोरस :-     नहीं था जग जननी को काम 
M:-        भोजन पानी छोड़ दिया सब करे नहीं विश्राम 
राम नाम में लीं हुयी माँ राम ही सुबह हो शाम 
कोरस :-     माँ राम ही सुबह हो शाम 
M:-        कठिन तपस्या करते करते कई वर्ष गए बीत 
लगी समाधी राम नाम की लगी राम से प्रीत 
कोरस :-    हाँ लगी राम से प्रीत 
M:-        सुनो ध्यान से आगे पावन कथा बढ़ता हूँ पावन कथा बढ़ता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
10
M:-        राम लखन सीता की खोज में सागर तट आये 
कठिन साधना करते देख उसे दोनों चकराए 
कोरस :-     देख उसे दोनों चकराए 
M-        चंद्र स्वरुप अनूप  बालिका हुयी साधना लीं 
देख के उसकी कठिन तपस्या राम हुए गमगीन 
कोरस :-    देखो राम हुए गमगीन 
M:-        पास जा कर बोले राम जी आंखे तो खोलो 
इस आयु में कठिन तपस्या का कारन बोलो 
कोरस :-     तपस्या का कारन बोलो 
M:-        कोमल बदन है अलप आयु है भयावह वीराना है 
आंखे खोलो हे मृग नैनी बोलो क्या मन ठाना है 
कोरस :-      बोलो क्या मन ठाना है 
M:-        फिर कन्या ने कहा जो उनसे मै तुम्हे  सुनाता हूँ मै तुम्हे  सुनाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम 
11
M:-        आंखे खुली जो इस कन्या की हुयी हैरान 
खड़े सामने रा प्रभु गई उन्हें पहचान 
कोरस :-    देखो गई उन्हें पहचान 
M:-        नतमस्तक हो हाथ जोड़कर बोली मधुर वाणी 
पाऊं मै तुम्हे पति रूप में मन में है ठानी 
कोरस :-     हाँ मन में है ठानी 
M:-        कृपा कर के वर लो मुझको यही कामना मेरी 
माँ चुकी हूँ पति मै तुमको ना नाथ करो देरी 
कोरस :-     ना नाथ करो देरी 
M:-        मुस्काये  प्रभु श्री राम जी बोले मृदु वाणी 
मेरा व्याह हुआ है मेरी सीता पटरानी 
कोरस :-    मेरी सीता पटरानी 
M:-        समझाते हैं राम उन्हें कैसे बतलाता हूँ  कैसे बतलाता हूँ  
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम
12
M:-        प्रभु राम फिर बारबार उनको समझाते हैं 
कैसे मिलेंगे पति रूप में मार्ग बताते हैं 
कोरस :-     हाँ  मार्ग बताते हैं 
M:-        कलकी रूप में मै कलयुग में जब लूंगा अवतार 
वरन करूँगा पत्नी रूप में देखेगा संसार 
कोरस :-     हां देखेगा संसार 
M:-        करो प्रतीक्षा तब तक मेरी शिखर त्रिकूट जाओ 
वहां पे रह के वैष्णो धर्म का परचम लहराओ 
कोरस :-    धर्म का परचम लहराओ 
M:-        वैष्णो माँ के नाम से होगी दुनिया में पहचान 
बैठ गुफा में तब तक सबका करती रह कल्याण 
कोरस :-     सबका करती रह कल्याण 
M:-        तुम भी करो प्रस्थान मै सीता खोज में जाता हूँ सीता खोज में जाता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम
13
M:-        विख्यात हुआ यही से भक्तो माँ वैष्णो का नाम 
चली गई माँ पवन वेग से पावन त्रिकूट धाम 
कोरस :-     वेग से पावन त्रिकूट धाम 
M:-        सारे जगत में वैष्णो माँ की जय जय गूंज रही 
माँ वैष्णो के नाम को सारी दुनिया पूज रही 
कोरस :-     सारी दुनिया पूज रही 
M:-        बैठा गुफा में काली सरस्वती माँ वैष्णो रानी 
लंगूर वीर जी द्वार विराजे करते निगरानी 
कोरस :-     देखो करते निगरानी 
M:-        शिखर के ऊपर भैरवनाथ का धुना सुलग रहा 
पर्वत ऊपर भैरोनाथ का चिमटा खड्ग रहा 
कोरस :-     देखो चिमटा खड्ग रहा 
M:-        हाथ जोड़ सुखदेव कहे माँ शीश झुकता हूँ माँ शीश झुकता हूँ
माँ वैष्णो देवी प्रभु राम की कथा सुनाता हूँ मै कथा सुनाता हूँ 
कोरस :-     लो माँ वैष्णो जी का नाम बोल जय जय श्री राम 
पावन है दोनों नाम बोलो जय जय श्री राम
 

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