Current Date: 18 Dec, 2024

शैलपुत्री मंत्र

- Avinash Karn


M:-    जय माता दी माँ दुर्गा पहले स्वरुप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती है ये ही 
    नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है पर्वतराज हिमालय की हर पुत्री रूप में उतपन्न 
    होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा नवरात्रि पूजन में प्रथम दिवस इन्ही 
    की पूजा और उपासना की जाती है इनका वाहन वृषभ है इसलिए यह देवी 
    वृषभारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती है इस देवी ने दाए हाथ में त्रिशूल धारण 
    कर रखा है और बाए हाथ में कमल सुशोभित है यही सती के नाम से भी 
    जानी जाती है आइये बड़े भाव से माँ शैलपुत्री के मंत्रो का गायन करते है 

कोरस :-     वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

M:-    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

कोरस :-     वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

M:-    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

कोरस :-     वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

M:-    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

कोरस :-     वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

M:-    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

कोरस :-     वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरां
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् 

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