Current Date: 22 Nov, 2024

माँ काली के मंदिर मे चोरी (Maa Kaali Ke Mandir Me Chori)

- The Lekh


माँ काली के मंदिर मे चोरी 

बहुत समय पहले की बात है कदमपुर नाम का एक गाँव  हुआ करता था  वहाँ पर शंभु नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था परिवार में उसकी पत्नी श्यामा और उसका एक जवान मगर आलसी बेटा अनमोल था वो कुछ काम नहीं करता था पूरे दिन बस सोया रहता था,,,,,,,, उसके माता पिता उससे बहुत परेशान  रहते थे,,,एक दिन  दोनों श्यामा और शंभु आपस में बात करते है 

श्यामा = देखिए हमारा बेटा इतना आलसी कैसे हो गया है ये किसके लक्षण आ गये है इसके अंदर

शंभु = हाँ  सही क़ह रही हो तुम ,,,,,,,,,पता नहीं इसका क्या होगा,,, ये जीवन में कुछ कर पाएगा भी या नहीं,,,,

श्यामा = हाँ सही कह रहे है आप मुझे भी यही चिंता खाई जा रही है 

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एक दिन शंभु ने खेत में काम पर जाने से पहले श्यामा से कहा 

शंभु=अरे सुनो मैं खेत पर जा रहा हूँ, काम करने वहाँ से बोरे में भर कर अनाज लाना है मुझ से नहीं उठेगा अनमोल को कह देना खेत पर आ जाये 

श्यामा = ठीक है आप जाइए मैं अनमोल को भेज  दूँगी 

शंभु चला जाता है 

जब अनमोल की माँ उसे उठाने के लिए आती है तो वो सोया होता है उसकी माँ उससे कहती है 

श्यामा = अनमोल उठ और जा अपने पिता की मदद कर  खेत पर जा वो अकेले कितना करेंगे 

वो उनकी  बात को सुन कर भी अनसुना कर देता है 

श्यामा फिर से कहती है

श्यामा = जल्दी से उठ जाओ वरना तुम्हारे पापा बहुत ग़ुस्सा होंगे उठो जल्दी

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अनमोल लेटे लेटे ही कहता है 

अनमोल = जाओ यहाँ से मैं नहीं जा रहा खेत पर काम करने मुझे सोने दो ,,,,,,,सोने भी नहीं देते मुझे चैन से 

श्यामा = अब कितना सोयेगा ग्यारह बज चुके है,,,,,,, सारी दुनिया जाग गई बस तुही नहीं जगा है 

अनोमल = आप कितना भी कह लो मैं अभी नहीं उठूँगा जाओ यहाँ से 

फिर श्यामा वहाँ से बिना कुछ बोले चली जाती है 
श्यामा  ख़ुद ही खेत पर काम करने चली जाती है 

जब शंभु श्यामा को खेत पर आते देखता है तो वह उससे पूछता  है 

 शंभु = अरे तुम यहाँ क्या कर  रही हो और अनमोल कहाँ है
 
 श्यामा उसे सारी बात बता देती है की कैसे अनमोल में खेत पर आने से मना कर दिया है 

सारी बात सुन कर  शंभु को बहुत ग़ुस्सा आता है,,,लेकिन वो कुछ नहीं करता और ख़ुद ही सारा निपटा लेता है 

एक दिन शंभु की तबियत बहुत ख़राब हो जाती है लेकिन उसे एक बहुत ज़रूरी पत्र डाक घर भेजना होता है वो अनमोल के पास जा कर उसकी जगह पर डाक घर जाने को कहता है लेकिन अनमोल हमेशा की तरह काम करने से मना कर  देता है

अनमोल= मैं नहीं जाऊँगा डाक घर ये आपका काम है आपको ही करना चाहिए मुझसे करने के लिए मत कहिए 

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अनमोल की ये बात सुन कर शंभु आग़बागुला हो जाता है और उससे कहता है 

शंभु = तू किसी काम का नहीं है,,,  तुझसे एक काम नहीं हो सकता,,, निकल जा मेरे घर से और जब तक तुम्हारी ये आलास की बीमारी ना छूटे वापस मत आना 
 
अनमोल = हाँ तो इस घर में रुकना भी कौन चाहता है,,, यहां मुझे चैन से कोई जीने भी नहीं देता जा रहा हूँ मैं 

और वो घर से बाहर चला जाता है उसकी माँ उसके पीछे पीछे भागती है उसे रोकने के लिए लेकिन वो उसकी एक नहीं सुनता और बिना कुछ जवाब दिये घर से चला जाता है 
उसकी माँ शंभु से रोते हुए कहती है 

 श्यामा= ये आपने क्या किया हमारे इकलौते बेटे को घर से निकाल दिया,, अब हमारा क्या होगा 

शंभु =कुछ नहीं होगा हमे जब वो हमारे साथ था तभ भी कहाँ कुछ करता था, सारा  काम हम ख़ुद ही करते थे अब उसके जाने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा ,,,,,,,अच्छा हुआ की चला गया अब जब ख़ुद रोटी के लिए मेहनत करनी पड़ेगी ना तब समझेगा की मेहनत करना और आलस्य को त्यागना कितना आवश्यक है फिर देखना ख़ुद भागा भागा चला आयेगा वापस 

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इधर अनमोल चलते चलते पास के गाँव में पहुँच गया था ,,,,,,,
वो मन ही मन सोचता है 

अनमोल= अच्छा हुआ की मैं घर छोड़ कर आ गया अब चैन से अपनी ज़िंदगी जियूँगा,,,,,,,,खाऊँगा पियूँगा मोज़ करूँगा 
ये सब बात वह सोच ही रहा होता है की उसके सामने काली माता का मंदिर आ जाता है वह उस मंदिर में जा के कुछ खाने को मिल जाये इस उम्मीद में वहाँ जा कर बैठ जाता है,,,,,,,,,वहाँ पर एक आदमी सभी भक्तों को प्रसाद बाट रहा होता है तो वो अनमोल को भी प्रसाद दे देता है, वह खुश हो जाता है और फिर मन में में सोचता है

अनमोल =अरे वाह यहाँ तो बैठे बैठें ही ख़ाना मिल जाता है अब से मैं यही रहूँगा

फिर वो रात में वही पर मंदिर में सो जाता है, वहाँ के पुजारी जब मंदिर का द्वार बंद करके जाने लगते है तो वो देखते है की कोई वहाँ सोया हुआ है वो अनमोल के पास जा कर  उसे उठाते है और उससे पूछते है 

पंडित= तुम यहाँ क्यों सो रहे हो,,,,, तुम्हारा घर कहाँ है,,,, तुम तो इस गाँव के नहीं लगते 
 
अनमोल= जी पंडित जी आपने सही कहा मैं इस गाँव का नहीं हूँ 

पंडित दुबारा से अपने सवालो को दोहराता है 

पंडित = फिर तुम्हारा घर कहाँ है ,,,,,,और तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो

अनमोल पंडित से झूठ बोलता है 

अनमोल= पंडित जी मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है मेरे माता पिता कुछ समय पहले मर गये,,, मैं अपने मामा के साथ रहता था,,, पर उन्होंने मुझे घर से निकल दिया आप मुझे यहाँ रहने दीजिए 

पंडित = तुम्हारे साथ तो बहुत ही बुरा हुआ है ,,,,,ठीक है तुम यह रह सकते हो लेकिन तुम्हें मंदिर की साफ़ सफ़ाई करनी होगी इसके बदले में मैं तुम्हें ख़ाना दूँगा और यहां रहने भी ,,,,,,बोलो मंज़ूर है 

अनमोल = हा मुझे मंज़ूर है मैं मंदिर की साफ़ सफ़ाई कर लूँगा 

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और फिर पंडित वहाँ से जाते हुए ये कहते हैं कि

पंडित= ठीक है तुम सुबह मेरे यहां आने से पहले मंदिर को साफ़ करके रखना 

अनमोल हाँ ,,,, कहता है जिसके बाद पंडित जी वहाँ से चला जाते हैं 

अगले दिन जब पंडित मंदिर में आता है तो वो देखता है कि मन्दिर तो अभी तक साफ़ नहीं हुआ है और अनमोल अब तक सो रहा है वो अनमोल को उठाने का प्रयास करता है लेकिन अनमोल नहीं उठता तो पंडित जी ख़ुद  से ही मंदिर को साफ़ करने लग जाते है,,, मंदिर साफ़ करने  के बाद अनमोल को दुबारा उठाते है वो उठता है तो कहता है

अनमोल = आपने मुझे इतनी जल्दी क्यों उठा दिया अभी तो 6 भी नहीं बजे है 

पंडित = अगर तुम्हें यहाँ रहना है तो आलस को छोड़ना होगा और सुबह जल्दी उठना होगा वरना मैं तुम्हें यहां नहीं रहने दूँगा 

पंडित जी के मुँह से ये बात सुन कर अनमोल घबरा जाता है और पंडित जी से कहता है 

अनमोल = मुझे माफ़ कर दीजिए पंडित जी मैं आगे से ऐसा नहीं करूँगा मुझे बस आज के लिए माफ़ कर दीजिए 

पंडित = ठीक है मैं तुम्हें आज के लिए माफ़ करता हूँ आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए 

 लेकिन वह अगले दिन भी नहीं उठा तो पंडित जी ने उसे मंदिर से बाहर निकाल दिया 

फिर उसके मन में ख़्याल आता है कि क्यों ना वो मंदिर में लगा सोने का घंटा चुरा ले और उसे बेचकर आराम की ज़िंदगी जिए

वो अगले दिन ऐसा ही करता है जब पंडित जी मंदिर बंद करके जाते है तो वो चुपके से मंदिर में आ जाता है और मंदिर का ताला तोड़ कर घंटा को उतार लेता है ,,,,,,,, जैसे ही वो घंटा  लेकर बाहर निकलता है वो देखता है कि पंडित जी बाहर खड़े है जोकि कुछ समान भूल गये थे वो लेने आये थे 

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पंडित जी उसे देख कर कहते है 

पंडित जी = काली माँ ने मुझे ज़रूर इसी उद्देश्य से यह भेजा होगा कि मैं तुम्हें ये अनर्थ करने  से रोक सकूँ,,,रुको मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ,,,

पुलिस वहाँ आती है और अनमोल को लेकर चली जाती है 
उसकी वहाँ खूब पिटाई होती है फिर उसके माता पिता को बुलाया जाता है जिसके बाद पुलिस उसे छोड़ देती है,,, उसके बाद वह सुधर जाता है,,, और अपने आलास को त्याग देता है,,, और घर के कामों में अपनी माँ और पिता जी की मदद करने लग जाता है,,, और वो काली माता का भक्त भी बन जाता है

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