Current Date: 20 Nov, 2024

माँ का दर चूमकर

- मुकेश कुमार


माँ का दर चूमकर,
सारे गम भूलकर,
मैंने अर्जी लगाई, मजा आ गया,
दर बदर घूम कर,
मैया के द्वार पर,
मैंने झोली फैलाई, मजा आ गया।।

तर्ज – मेरे रश्के कमर।


सिंह पर बैठ कर माँ भवानी चली,
दुष्ट दानव पे माँ की दुधारी चली,
रण में संहार कर, दुष्टों को मार कर,
मुण्डमाला बनाई, मजा आ गया।।


माँ की कृपा के बादल बरस जायेंगे,
सबके बिगड़े मुकद्दर संवर जायेंगे,
बात बन जायेगी, झोली भर जायेगी,
माँ से आशा लगाई, मजा आ गया।।


आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,
माँ के दर पे ‘पदम्’ को ठिकाना मिले,
आ गये द्वार माँ, कर दो उपकार माँ,
माँ की महिमा को गाई, मजा आ गया।।


माँ का दर चूमकर,
सारे गम भूलकर,
मैंने अर्जी लगाई, मजा आ गया,
दर बदर घूम कर,
मैया के द्वार पर,
मैंने झोली फैलाई, मजा आ गया।।

 

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