लूट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए,
अपने भक्तों के लिए श्याम,
अपने भक्तों के लिए,
हार भी जाता है बाबा,
अपने भक्तों के लिए,
लूट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
तर्ज – सांवली सूरत पे मोहन।
रोते रोते जो भी जाता,
श्याम के दरबार में,
रोतों को पल में हँसाता,
अपने भक्तों के लिए,
लुट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
सोना चांदी हिरे मोती,
से कभी ना रीझता,
भावों के खातिर ही बिकता,
अपने भक्तों के लिए,
लुट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
पापी से भी पापी को भी,
मिलती माफ़ी है यहाँ,
है पिघलता आंसुओ से,
अपने भक्तों के लिए,
लुट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
हैं जरुरत गर हमें तो,
श्याम भी पीछे नहीं,
इक कदम पर सौ बढ़ाता,
अपने भक्तों के लिए,
लुट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
लेखे गम खुशियां जो दे दे,
ऐसा दानी है कहाँ,
कुछ भी कर सकता है ‘निर्मल’,
श्याम भक्तो के लिए,
अपने भक्तों के लिए,
लुट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
लूट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए,
अपने भक्तों के लिए श्याम,
अपने भक्तों के लिए श्याम,
हार भी जाता है बाबा,
अपने भक्तों के लिए,
लूट गया सरकार मेरा,
अपने भक्तों के लिए।।
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