लिखो जीवनी गुरु जी के प्यारे आज्ञा लेकर आज तुम्हारे
बल बुद्धि तुम ज्ञान भी देना रोम रोम में रस भर देना
सबसे पहले नाम आपका मेरे गुरु जी ध्यान आपका
शरण बैठ के गुण में गाऊं मन इच्छा फल आपसे पाऊं
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय -2
सन 1952 आया खुशियां भरी सौगात ले आया
7 जुलाई जन्मे गुरुजी शिव शंकर अवतार गुरुजी
धन माता सुरजीत कौर हुई मस्तराम सा पिता ना कोई
धन्य हुआ वह गांव था सारा लियो गुरु अवतार जनतारा
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
शिव की ज्योति से जीवन पाया गुरुजी के रूप में धरती पे आया
डुगरी में आकर डेरा डाला खुशियों से दामन भर डाला
सूरज ने किरने चमकाई चारों और बजी शहनाई
शिव शंकर ने डमरू बजाया ब्रह्मा विष्णु ने शंख बजाया
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
बचपन से ही नूर दिखाया सारे गांव ने भी आजमाया
माता पिता ने इनको माना इनमें गुरु का वास है माना
शिव की लगन से भक्ति पाकर ज्ञान प्रकाश की भरकर डागर
सबको एक ही तार बताया शिव पुराण में शिव जी समाया
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
संगत के कष्टों को मिटाने भटके हुए को राह दिखाने
गुरु जी ने अपना धाम बनाया बड़े मंदिर का निर्माण कराया
बड़े मंदिर जो संगत आए अहम को अपने साथ ना लाएं
काम क्रोध और मोह को छोड़ो गुरुजी से अपना नाता जोड़ो
जो दर आए तरता जाए गुरुजी बेड़ा पार लगाए
भक्तों के दुख हर्ता गुरुजी सच की राह दिखाएं गुरुजी
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
बड़ा मंदिर गुरुधाम प्यारा जो दर आए गम का मारा
गुरु बचाए हर मुश्किल से गुरु निकाले भवसागर से
मैं अपनी को त्याग दे बंदे गुरुजी मिटा देंगे दुख फंदे
दिल की बात गुरु से कर ले गुरु शरण में सर तू धर ले
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
गुरुजी ने जीने की राह बताई पाबंदी जीवन से हटाई
मन को अपने कभी ना मारो सत कर्मों से जीवन तारों
5 गुरु के त्यौहार मनाए खुशियां दामन में भर लाए
आठों पहर मने दिवाली गुरु चरणों की जय हो सवाली
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
शिवरात्रि बैसाखी प्यारी 7 जुलाई गुरु जन्मे प्यारे
दीपावली नया साल मुबारक गुरु जी सब के सच्चे पालक
शिव शंकर का रूप गुरुजी कलयुग के अवतार गुरुजी
सब के दुख संताप यह हरते आनंद ही आनंद यह करते
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
31 मई दुख भरे थे आए 2007 में गुरु विदाई
हर आंखों में पानी भर के विदा हुए हर पीड़ा हर के
गुरु समाधि जो कोई आवे उसका बेड़ा पार हो जाए
श्रद्धा प्रेम से सर को झुकाए गुरु सदा ही साथ निभाए
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
परमपिता परमात्मा गुरुजी ओम नमो का सार गुरुजी
जिसका कोई गुरु ना प्यारे गुरु बिन कहीं गति ना ध्यावे
गुरु ही दाता गुरु विधाता गुरु ही सबको राह दिखाता मात-पिता के जैसे गुरुजी पकड़ के उंगली चलना सिखाता
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
जो इनके चरणों में झुकता अंधकार में कभी ना रूकता
गुरुजी बेड़ा पार लगाए हर संकट से गुरुजी बचाए
जिसके साथ गुरुजी प्यारे उसके होते वारे न्यारे
धन दौलत की कमी ना आए गुरुजी सदा मान बढ़ाएं
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
नीलकंठ भोले बाबा ने लीला अपनी ऐसी दिखाई
अपने रूप में गुरु जी को भेजा गुरु जी बने हैं सबके सहाई गुरुजी ने जीवन में अपने जो भक्तों के दुख दर्द मिटाए
संगत के दुख का विश्व पीकर सुख का अमृत पान कराएं
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
गुरु जीवनी जो लिखवाई चहल ने आज्ञा गुरु से पाई
संजय ने यह कथा सुनाई गुरु चरणों में दोनों भाई
गुरु जी के जीवन जीवनी जो भी सुने सुनाए
अंग संग रहे गुरुजी हमेशा कष्ट सभी मिट जाए
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय शिवजी सदा सहाय
ओम नमः शिवाय गुरुजी सदा सहाय
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