Current Date: 17 Nov, 2024

Diwali 2023: दिवाली पर गणेश-लक्ष्मी की पूजा करने की क्या परंपरा है? इस दिन लक्ष्मी पूजन करने से पूरे वर्ष मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

- Bhajan Sangrah


रोशनी का त्योहार दिवाली या दीपावली आज है। दिवाली तक चलने वाले पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होते हैं, जो इस साल 10 नवंबर  को मनाया गया और भाई दूज (14 नवंबर ) के साथ समाप्त होता है। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत और माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास बिताने और लंका राजा रावण को मारने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। इस दिन, लोग अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों, रोशनी और फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, नए पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, मिठाई खाते हैं, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। हालांकि इस दिन के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक लक्ष्मी पूजा है। जानें घर पर पूजा कैसे करें लक्ष्मी पूजा व शुभ मुहूर्त-

अमावस्या तिथि प्रारंभ - 12 नवंबर - 02:44 बजे से
अमावस्या तिथि समापन - 13 नवंबर - 02:56 तक
लक्ष्मी पूजन का समय - 12 नवंबर शाम 05:19 बजे से शाम 07:19 बजे तक

दिवाली के दिन घर पर कैसे करें गणेश-लक्ष्मी पूजन?

  • सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। 
  •  लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। 
  •  पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। 
  •  कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। 
  •  नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
  •  दो बड़े दीपक रखें। एक घी का, दूसरा तेल का। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
  •  मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। 
  •  कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। 
  •  गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
  •  इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। 
  •  सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। 
  •  थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। 
अब विधि-विधान से पूजन करें।  

दिवाली पूजा मां लक्ष्मी मंत्र (Diwali Puja Maa Laxmi Mantra)

1. लक्ष्मी बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
2. महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

गणेश जी मंत्र-

1. ॐ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
2. श्री गणेश बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नमः ।।
3. ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।

कुबेर देवता मंत्र-
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

दिवाली का महत्व
दीपावली को रोशनी का त्योहार माना जाता है। साथ ही यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। लोग इस त्योहार को पांच दिनों तक मनाते हैं और इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस शुभ दिन पर मां लक्ष्मी की पूजा भक्ति और समर्पण के साथ की जाती है।
 
ऐसी मान्यता है कि इस दिन धन की देवी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख- समृद्धि का वरदान देती हैं। यह हिंदुओं के बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे लोग दीपक जलाकर मनाते हैं।
 
इसके अलावा परिवार और दोस्तों के बीच उपहार बांटते हैं। बता दें, दीया जलाना अच्छाई, पवित्रता और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करता है।
 

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