रोशनी का त्योहार दिवाली या दीपावली आज है। दिवाली तक चलने वाले पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होते हैं, जो इस साल 10 नवंबर को मनाया गया और भाई दूज (14 नवंबर ) के साथ समाप्त होता है। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत और माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास बिताने और लंका राजा रावण को मारने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। इस दिन, लोग अपने घरों को दीयों, मोमबत्तियों, रोशनी और फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, नए पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, मिठाई खाते हैं, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। हालांकि इस दिन के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक लक्ष्मी पूजा है। जानें घर पर पूजा कैसे करें लक्ष्मी पूजा व शुभ मुहूर्त-
दिवाली के दिन घर पर कैसे करें गणेश-लक्ष्मी पूजन?
- सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
- लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।
- पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें।
- कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें।
- नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
- दो बड़े दीपक रखें। एक घी का, दूसरा तेल का। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
- मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं।
- गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
- इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी।
- सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।
- थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
1. लक्ष्मी बीज मंत्र
गणेश जी मंत्र-
1. ॐ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
दिवाली का महत्व
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