Current Date: 22 Dec, 2024

क्यों हिन्दू धर्म के वेदों को दो बार रचा गया था (Kyun Hindu Dharam Ke Vedon Ko Do Bar Racha Gyaa Tha)

- The Lekh


क्यों हिन्दू धर्म के वेदों को दो बार रचा गया था?

 वेदों को सनातन धर्म का आधार और भारतीय सभ्यता का पावन साहित्य माना जाता है। हिन्दु धर्म की सबसे प्राचीन आधारशिला वेद ही हैं। माना जाता है कि हिन्दू धर्म में जितने भी ग्रंथ हैं, पुराण हैं, शास्त्र हैं, ज्योतिष, वास्तु और आयुर्वेद का ज्ञान है सब कुछ वेदों से ही उत्पन्न हुआ है।

जब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के बारे में सोचा तब उन्होंने सबसे पहले ब्रह्म देव को अपनी नाभि से प्रकट किया और उन्हें ब्रह्मांड की उत्पति और सृजन का कार्य सौंप दिया।

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1- ब्रह्म देव में अहम के कारण ज्ञान की कमी थी। इसी कारण से उन्होंने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और वरदान स्वरूप उनसे ज्ञान प्राप्त किया। जब एक बार देवर्षि नारद जो ब्रह्मा जी के पुत्र भी हैं उनसे इसी ज्ञान का सार जानने ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तब ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम देवर्षि नारद को ज्ञान श्रवण कराया।

2- ब्रह्मा जी के मुख से निकल रहे शब्द अपने आप हवा में एक किताब पर लिखे लेख की तरह अंकित होते चले गए और स्वतः ही वेदों का निर्माण हो गया। माना जाता है कि वेदों को सबसे पहले ब्रह्म देव ने रचा था जिसके बाद ब्रह्म देव से वेदों का ज्ञान सप्त ऋषियों को प्राप्त हुआ और उनसे अन्य ऋषिगणों को।

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3- समय-समय पर वेदों को कई ऋषियों द्वारा लिखे जाने का प्रयास होने लगा लेकिन ब्रह्म देव ने जिस ज्ञान को वेदों में अंकित किया था वह क्लिष्ट संस्कृत में था इसी कारण से कोई भी वेदों को लिखने में असमर्थ था।

4- बाद में द्वापर युग के अंत के दौरान महऋषि वेदव्यास ने सभी वेदों और पुराणों को लिखने की ठानी और वेदों के विस्तारित स्वरूप को संक्षिप्त रूप में बदल दिया और वेदों को चार भाग में बांट दिया जिनका नाम पड़ा- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। यानी कि वेदों की भाषा को आम मनुष्यों द्वारा समझा जा सके इतना सरल बना दिया।

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5- जब महर्षि वेदव्यास ने वेदों को सरल रूप देकर मनुष्य तक पहुंचाया तब लगभग 6000 B।C का समय था। मगर शोध कर्ताओं ने इस समय को वेदों की आयु घोषित कर दिया जबकि असल वेदों का निर्माण तो सृष्टि की रचना से भी पहले ही हो गया था।

तो इस तरह वेदों को दो बार रचा गया, एक ब्रह्म देव द्वारा और दूसरी बार महर्षि वेदव्यास द्वारा

 

Why the Vedas of Hinduism were composed twice?

Vedas are considered the basis of Sanatana Dharma and the sacred literature of Indian civilization. Vedas are the oldest foundation stone of Hindu religion. It is believed that all the books, Puranas, Shastras, Astrology, Vastu and Ayurveda knowledge in Hinduism have all originated from the Vedas.

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1- Brahma Dev lacked knowledge due to ego. For this reason, he did severe penance of Lord Vishnu and received knowledge from him as a boon. Once Devarshi Narada who is also the son of Brahma ji came to Brahma ji to know the essence of this knowledge from him, then Brahma ji first made Devarshi Narad listen to the knowledge.

2- The words coming out of the mouth of Brahma ji automatically went on being marked in the air like an article written on a book and the Vedas were formed automatically. It is believed that the Vedas were first composed by Brahma Dev, after which the knowledge of Vedas was received from Brahma Dev to the Sapta Rishis.

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3- From time to time, attempts were made to write the Vedas by many sages, but the knowledge that Brahma Dev had inscribed in the Vedas was in difficult Sanskrit, that is why no one was able to write the Vedas.

4- Later during the end of Dwapar Yuga, Maharishi Ved Vyasa decided to write all the Vedas and Puranas and changed the expanded form of Vedas into short form and divided the Vedas into four parts namely- Rigveda, Yajurveda, Samaveda and Atharvaveda. That is, the language of the Vedas was made so simple that it could be understood by common people.

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5- It was about 6000 B.C when Maharishi Ved Vyas took the Vedas to man in a simplified form. But researchers have declared this time as the age of Vedas whereas the real Vedas were created even before the creation of the universe.

So in this way the Vedas were composed twice, once by Brahma Dev and the second time by Maharishi Ved Vyasa.

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