Current Date: 22 Dec, 2024

क्यों मनाई जाती है गंगा सप्तमी (Kyon manae jaati hai ganga saptmi)

- The Lekh


क्यों मनाई जाती है गंगा सप्तमी

गंगा सप्तमी 2023: जानें गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

गंगा सप्तमी का दिन देवी गंगा को समर्पित है। इस दिन को गंगा पूजन तथा गंगा जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।

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हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। देवी गंगा का प्रवाह इतना तीव्र व शक्तिशाली था कि उसके कारण समूची पृथ्वी का सन्तुलन अनियन्त्रित हो सकता था। अतः देवी गंगा के वेग को नियन्त्रित करने हेतु भगवान शिव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया। कुछ समय पश्चात्, भगवान शिव ने देवी गंगा को जटाओं से मुक्त किया ताकि वह भागीरथ के पूर्वजों की श्रापित आत्माओं को शुद्ध करने का अपना उद्देश्य पूर्ण कर सकें।

भागीरथ के राज्य की ओर जाते समय, देवी गंगा के शक्तिशाली प्रवाह एवं प्रचण्ड वेग से ऋषि जाह्नु का आश्रम नष्ट हो गया। अतः ऋषि जाह्नु क्रोधित हो गये तथा उन्होंने गंगा का समस्त जल पी लिया। इस घटना के पश्चात्, भागीरथ समेत सभी देवताओं ने ऋषि जाह्नु के समक्ष क्षमा-याचना कर उनसे देवी गंगा को मुक्त करने का आग्रह किया, ताकि देवी गंगा जनकल्याण के अपने उद्देश्य की पूर्ति कर सकें। सभी देवताओं एवं भागीरथ की प्रार्थना से प्रसन्न होकर जाह्नु ऋषि ने गंगा को अपने कान से प्रवाहित कर मुक्त किया।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, जाह्नु ऋषि ने वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अपने कान से गंगा को मुक्त किया था। अतः इस कथा के कारण इस दिन को जाह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। देवी गंगा को ऋषि जाह्नु की पुत्री जाह्नवी के रूप में भी जाना जाता है।

गंगा सप्तमी पर भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं तथा गंगा नदी में स्नान करते हैं। गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान करना अत्यधिक शुभः माना जाता है।

Why Ganga Saptami is celebrated

The day of Ganga Saptami is dedicated to Goddess Ganga. This day is also known as Ganga Pujan and Ganga Jayanti, as Goddess Ganga was reborn on this day.

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According to Hindu mythology, Goddess Ganga descended on earth on the day of Ganga Dussehra. The flow of Goddess Ganga was so intense and powerful that due to it the balance of the whole earth could be uncontrollable. Therefore, to control the speed of Goddess Ganga, Lord Shiva took Goddess Ganga in his hair. After some time, Lord Shiva freed Goddess Ganga from her locks so that she could fulfill her purpose of purifying the cursed souls of Bhagirath's ancestors.

On the way to the kingdom of Bhagiratha, the hermitage of Sage Jahnu was destroyed by the mighty flow and fierce velocity of Goddess Ganga. So sage Jahnu got angry and drank all the water of the Ganges. After this incident, all the gods, including Bhagirath, apologized to Sage Jahnu and requested him to free Ganga, so that she could fulfill her mission of public welfare. Pleased with the prayers of all the deities and Bhagirath, Rishi Jahnu freed Ganga by flowing through his ear.

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According to mythology, Jahnu Rishi released Ganga from his ear on the Saptami Tithi of Vaishakh Shukla Paksha. Therefore, due to this legend, this day is also known as Jahnu Saptami. Goddess Ganga is also known as Jahnavi, the daughter of sage Jahnu.

On Ganga Saptami, devotees worship Goddess Ganga and take a bath in the river Ganga. Taking a bath in the Ganges on the day of Ganga Saptami is considered extremely auspicious.

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