Current Date: 22 Dec, 2024

श्री कृष्ण स्तुति-कस्तुरी तिलकम (Krishna Stuti-Kasturi Tilkam)

- Kamlesh Upadhyay (Haripuri)


कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

अर्थ : हे श्री कृष्ण ! आपके माथा कस्तूरी के पवित्र चिन्हों और छाती पर कौस्तुभ गहना से सुशोभित है, आपकी नाक को जिसे एक चमकता हुआ मोती से सजाया गया है, आपकी हाथों की उंगलिया एक बांसुरी पकड़े हुए हैं, आपकी कलाई को सुन्दर कंगन से खूबसूरती से सजाया गया है, आपका पूरा शरीर चंदन के लेप से महक रहा है, मानो खेल-खेल में आपका अभिषेक किया गया हो, और गर्दन को मोतियों के हार से सजाया गया हो, आप चरवाहों के लिए मुक्ति (मोक्ष) के दाता हैं जो आपके चारों ओर चक्कर लगाते हैं; हे भगवान, आपकी विजय - ग्वालों के आभूषणों का आभूषण।

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥

अर्थ : श्री कृष्ण की कृपा से जो गूंगे होते है वो भी बोलने लगते हैं, जो लंगड़े होते है वो पहाड़ों को भी पार कर लेते हैं। उन परम आनंद स्वरूप माधव की मैं वंदना करती हूं।

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