Current Date: 17 Sep, 2024

मोर मुकुट सिर कानन कुंडल

- Sadhana Sargam


मोर मुकुट सर कानन कुण्डल, नैन रसीले
मुख शशि मंडल, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे

मधुर मुरलिया, अधरान राजे
गले वैजन्ती माला साजे, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे

श्री पति हरी श्री वरधन
श्री युत श्री नारायण, प्रभु के श्री चरनन में
मोश्री हीं को वंदन, कौस्तुभ मणि श्री वत्स की रेखा
ऐसा श्रीधर और न देखा, श्री सर्वांग सजोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे

नील कलेवर, पट पीताम्बर अंग धरे
कान्हा कुंजन अकेले करे, पद से गंग प्रवाहित
अंतर स्थापित राधा, मार्ग में अनगिन सखिया
मिलन में केवल बाधा, नात्सिखावर नल कहत न आवे
कोटिक मन मथ देख लाजवे, देखत सुध बुध खोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे

मोर मुकुट सर कानन कुण्डल, नैन रशीले
मुख शशि मंडल, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे

Credit Details :

Song: Mor Mukut Sir Kanan Kundal
Singer: Sadhana Sargam
Lyrics: Ravindra Jain
Music Director: Ravindra Jain

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।