Current Date: 18 Nov, 2024

कृष्ण जन्माष्टमी

- Traditional


द्वापर युग में महराजा उग्रसेन का मथुरा में राज चलता था परन्तु उसके अत्याचारी पुत्र कंस  ने पिता को कारगर में डाल दिया और स्वयं मथुरा का राजा  बन बैठा कंस की एक बहन देवकी थी जिसका विवाह वासुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुँचाने जा रहा था! तभी अचानक रास्ते में आकाशवाणी हुई हे कंस जिस देवकी को तू बड़े प्यार से ले जा रहा है उसी के गर्भ से एक दिन तेरा काल जन्म लेगा इसी देवकी के गर्भ से उत्पन्न अठवा बालक तेरा वध करेगा यह सुनकर कंस वासुदेव को मारने के लिए उदीत हुआ तब देवकी ने उससे विनय पूर्वक कहा मेरे गर्भ से जो संतान होगी उसे मै तुम्हारे सामने ला दूँगी बेहनोई को मारने से क्या लाभ है!कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापिस चला गया उसने देवकी और वसुदेव को कारागृह में डाल दिया वसुदेव और देवकी के एक एक कर के सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला अब आठवीं संतान होने वाली थी! कारगर में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए उसी समय नन्द की पत्नी यशोदा को भी संतान होने वाली थी उन्होंने वसुदेव देवकी के दुखी जीवन को देख आठवे बच्चे की रक्षा का उपाय रचा जिस समय वसुदेव देवकी को पुत्र पैदा हुआ उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का हुआ जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी ! जिस कोठरी में देवकी वसुदेव कैद थे उस में अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख चक्र गदा पद्म धारण किये चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े तब भगवान ने उनसे कहा अब मै पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूँ  तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नन्द जी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहाँ जो कन्या जन्मी है उसे लेकर कंसके हवाले कर दो इसवातावरण अनुकूल नहीं है फिर भी तुम चिंता ना करो जागते हुए पहरेदार सो जायेंगे कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएगी और उफ़नती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी उसी समय वसुदेव नवजात शिशु कृष्ण को सूप में रख कर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नन्द जी के घर पहुँचे वहाँ उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया कन्या को लेकर मथुरा आ गए कारागृह के फाटक पूर्वबद्ध बंद हो गए अब कंस को सूचना मिली की वसुदेव देवकी को संतान हुई है उसने बंदी गृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छिन कर पृथ्वी पर पटक देना चाहा परन्तु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहाँ से कहा अरे मुर्ख मुझे मरने से क्या होगा तुझे मारने वाला तो वृन्दावन में जा पहुँचा है वह जल्द ही तुझे तेरे पापो का दंड देगा !

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