Current Date: 19 Nov, 2024

कृपासिंधु

- सूरज शर्मा


कृपा कर दो कृपासिंधु,
ये सेवक द्वार आया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

तर्ज – मुझे तेरी मोहब्बत का।

तेरा दास हूँ बाबा,
नहीं कोई पराया हूँ,
पड़ा हूँ तेरी चोखट पे,
पड़ा हूँ तेरी चोखट पे,
ज़माने का सताया हूँ,
मिला जो राह में राही,
वही ठोकर लगाया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

जो खाई ठोकरें जग की,
तो पहुँचा द्वार तक तेरे,
ठिकाना मिल गया मुझको,
ठिकाना मिल गया मुझको,
सराहूँ भाग्य को मेरे,
मुक्कदर का सिकंदर हो,
जो तेरे पास आया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

शरण में आ गया तेरी,
क्षमा कर दो खता मेरी,
कहाते हो पतित पावन,
कहाते हो पतित पावन,
कहो किस बात की देरी,
करो उद्धार मेरा भी,
मुझे यूँ क्यों भुलाया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

तेरा गुणगान करने का,
मुझे वरदान मिल जाए,
तेरे चरणों में ‘बिन्नू’ को,
तेरे चरणों में ‘बिन्नू’ को,
प्रभु अस्थान मिल जाए,
इसी के वास्ते मैंने,
यहाँ दामन फैलाया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

कृपा कर दो कृपासिंधु,
ये सेवक द्वार आया है,
नज़र भर देख लो दाता,
यही अरदास लाया है,
कृपा कर दो कृपा सिंधु,
ये सेवक द्वार आया है।।

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