ओ कोई ले गयो ले गयो
कोई ले गयो चिर हमारे जुलम कर डारे रे
अपने अपने वस्त्र खोलके पारण पे हम धर दिने
सब को मिलजुलकर धस जमुना जी में डारि ने
कुछ रथ की लकीर गोपिन जमुना तीर किनारे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
म:- मंद मंद मुस्कात कदम्ब पर बैठ देख रहे बनवारी
ताहि समय बजाय दई बंशी चौक पड़ी दब नारी
देखो सखी कदम्ब पे तोकु धन्य मोहन प्यारे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
फ:- नग्न स्त्री पुरुष नाय देखे वेद शास्त्र रहे गाये
कहि कंस ते जाए अभी हम निकर जाई तेरी ठकुराई
मारग नहीं निकसन ते मोहन पनघट गेल गिरा रे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
म:- कौन शास्त्र तुम पढ़ी नग्न है कर जल में नाही प्यारी
जल को राजा वरुण देव है दोष लगो है अति भारी
कंस विचारे सीने में कितने तष नष कर डारे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
फ:- है कर अतिया दिन सखी सब जल के बाहर कर धिनी
और उपाय भयो नहीं कोई होठ पूजन की कर लिनी
दासी बनके चिर मांगती डीजे नंद दुलारे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
म:- एक बात में कहु सखी री रखियो याद अपने मन में
सर्द रेन के मध्य करुँगो लीला निज वृन्दावन में
चिर हरण लीला कहे घासी राम गोवर्धन वारे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
फ:- ओ कोई ले गयो ले गयो
कोई ले गयो चिर हमारे जुलम कर डारे रे
जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे जुलम कर डारे रे
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