F:- मंगल को घर मेरे कीर्तन है आ जाना हनुमान -२
भोग तुम आ के लडुवन का खाना हनुमान
साथ सीता राम जी को लाना तुम जरूर
आ के सोभा द्वार की बढ़ाना तुम जरूर
आना है जरूर तुम्हे विनती है मेरी
अब तलक गरीबो में ही गिनती है मेरी
मंगल को घर मेरे कीर्तन है आ जाना हनुमान
भोग तुम आ के लडुवन का खाना हनुमान
जय श्री राम जय जय हनुमान २
१
F:- धुप जलाऊँगी दीप जलाऊँगी
चन्दन की चौकी बिठाउंगी तुम्हे
फूल चढ़ाउंगी हार पहनाऊँगी
राम जी का कीर्तन सुनाऊँगी तुम्हे
गायेंगे रात भर राम के भजन
सीता जी के राम के नाम के भजन -२
गांव के किनारे ही है मेरी झोपडी
आओगे जरूर हमको आस है बड़ी
जय श्री राम जय जय हनुमान -२
मंगल को घर मेरे कीर्तन है आ जाना हनुमान
भोग तुम आ के लडुवन का खाना हनुमान
२
F:- पैसे वाली है मेरी पडोसने देख मेरी झोपड़ी चिढ़ाती है मुझे
जब करवाती है घर में वो कीर्तन भूल के भी घर में ना बुलाती है मुझे
दिन मेरा भी आएगा थी सोचती यही हूँ रोज खुद से बात यही बोलती रही
राम के कृपा से ये घड़ी वो आएगी रौशनी की झूमती लड़ी भी आ गई
जय श्री राम जय जय हनुमान -२
मंगल को घर मेरे कीर्तन है आ जाना हनुमान
भोग तुम आ के लडुवन का खाना हनुमान
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