जिसके दर्शन से ही मन होता बावरा
सुघड़ सांवरी सूरत सुन्दर सा सांवरा
ऐसा जादू नहीं है देखा पारस में
जैसा देखा है खाटू की ग्यारस में
ऐसा जादू नहीं है देखा पारस में
वह छलकती है हरदम भक्ति की गागर
सदा उमड़ता रहता जहां करुणा का सागर
भीगा रहता है मन श्याम के रस में
ऐसा जादू नहीं है देखा पारस में
हिरा मोती मांगे ना चंडी और सोना
जहाँ प्रेम बसता है बीएस दिल का वो कोना
वैसे तो वो रहता है सबकी नस नस में
ऐसा जादू नहीं है देखा पारस में
जिसके दर्शन से ही मन होता बांवरा
सुघड़ सावली सूरत सुन्दर सा सांवरा
प्रेम देता है वो रहता उसके वश में
ऐसा जादू नहीं है देखा पारस में
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