Current Date: 18 Dec, 2024

खाटू का तोरण द्वार

- राज पारीक


खाटू का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है,
बाबा ने स्वर्ग को ही,
धरती पे उतारा है,
खाटु का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है।।

तर्ज – होंठो से छू लो तुम।

खाटू की ये गलियां,
किसी स्वर्ग से कम तो नही,
तेरे श्याम कुंड का जल,
अमृत से कम तो नही,
इस मिट्टी के कण कण में,
इस मिट्टी के कण कण में,
प्रभु वास तुम्हारा है,
खाटु का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है।।

मेरे मन की बगिया तो,
बनी श्याम बगीची है,
मन की हर एक कली,
तेरे नाम से सीची है,
इस बगिया का बाबा,
इस बगिया का बाबा,
हर फूल तुम्हारा है
खाटु का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है।।

जब भी ये जनम मिले,
श्याम प्रेमी ही कहलाए,
होके तुमसे जुदा बाबा,
तेरे बच्चे ना जी पाए,
कहे ‘राज’ की हम सबको,
तू जान से प्यारा है,
खाटु का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है।।

खाटू का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है,
बाबा ने स्वर्ग को ही,
धरती पे उतारा है,
खाटु का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है।।

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