कसमे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या?
कोई किसी का नहीं ये झूठे,
नाते हैं नातों का क्या?
कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या।।
तर्ज – कसमे वादे प्यार वफ़ा।
होगा मसीहा सामने तेरे,
फिर भी न तू बच पायेगा,
तेरा अपना खून ही आखिर,
तुझको आग लगायेगा,
आसमान में उड़ने वाले,
मिट्टी में मिल जायेगा,
कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या।।
सुख में तेरे साथ चलेंगे,
दुःख में सब मुख मोड़ेंगे,
दुनिया वाले तेरे बनकर,
तेरा ही दिल तोड़ेंगे,
देते हैं भगवान को धोखा,
इन्सां को क्या छोड़ेंगे,
कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या।।
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या?
कोई किसी का नहीं ये झूठे,
नाते हैं नातों का क्या?
कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब,
बाते हैं बातों का क्या।।
(काम अगर ये हिन्दू का है,
मंदिर किसने लूटा है ?
मुस्लिम का है काम अगर ये,
खुदा का घर क्यों टूटा है ?
जिस मज़हब में जायज़ है ये,
वो मज़हब तो झूठा है।)
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।