Current Date: 18 Nov, 2024

करवा चौथ व्रत

- Traditional


भूमिका
करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है यह व्रत सुहागण स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है इस व्रत को रख कर स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु की प्रार्थना करती है सोलह श्रृंगार करते कुछ स्त्रियाँ  बिना कुछ खाये पिये इस व्रत को रखती है और चाँद के निकल जाने पर व्रत खोलती है पर कुछ स्त्रियाँ दिन में एक या दो बार चाय पी कर भी यह व्रत रखती हैं इस व्रत की कथा सूर्य ढलने से पहले करनी चाहिए एक पट्टे पर जल से भरा लोटा व एक मिट्टी के करवे में गेहूं भर कर रखते हैं अगर गेहूं नहीं है तो चावल चिन्नी कुछ भी रख सकते है करवा चौथ का कलेण्डर लगा कर उसकी पूजा करते है अपने से बड़े सास नन्द या जेठानी को बयना निकल कर देते हैं ब्याने में हूँ साड़ी ब्लाउज सुहाग सामान मिठा रूपया आदि निकाल कर देते हैं और पैर छुकर उनका आशीर्वाद लेते है रात को चन्द्रमा निकलने पर लोटे व करवे से अर्घ देते है उसके बाद ही व्रत खोलते है  

कथा
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी सेठानी सहित उसकी बहू और बेटियों ने करवा चौथ का व्रत रखा रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा इस पर बहन ने उत्तर दिया भाई अभी चाँद नहीं निकला उसके निकलने पर अर्घ देकर भोजन करूँगी बहन की बात सुनकर भाईयो ने क्या काम किया नगर से बहार जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमे से प्रकाश दिखाते हुए उन्होंने बहन से कहा बहन चाँद निकल आया अर्घ दे कर भोजन जिम लो यह सुन उसने अपनी भाभियों से कहा आओ तुम भी अर्घ दे लो परन्तु वह इस सारे कांड का जानती थी उन्होंने कहा बहन जी अभी चाँद नहीं निकला है तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं भाभियों की बात सुनकर भी उसने कोई ध्यान ना दिया और भईयों द्वारा दिए गए प्रकाश को ही अर्घ दे कर भोजन कर लिया इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए इसके बाद उसका पति सख्त बिमार हो गया और जो कुछ भी घर में था उसकी बिमारी में लग गया जब उसे अपने किये गए दोषो का पता लगा तो उसने पश्चात्प किया गणेश जी की प्रार्थना और विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना आरंभ कर दिया श्रद्धा अनुसार सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में  ही मन को लगा लिया इस प्रकार उसकी श्रद्धा भक्ति सहित कर्म को देख कर भगवान गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान देकर उसे आरोग्य कर दिया और धन सम्पति से युक्त कर दिया इस प्रकार जो कोई छल कपट को त्याग कर श्रद्धा भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेंगे वे इस प्रकार से सुखी होते हुए कलेशो से मुक्त हो जायेंगे

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