स्थायी :- सुनिए सुना रहा हूँ एक दुखिया माँ का हाल
कावड़ के चमत्कार को महिमा है बेमिसाल
कोरस :- कावड़ के चमत्कार को महिमा है बेमिसाल-२
अंतरा :- रहती थी किसी गांव में एक दुखिया अभागन
साजन भी मर गया था किसी रोग के कारन
साजन के बाद जिंदगी वीरान हो गयी
कोरस :- पैसो की तंगी देखके परेशान हो गयी -२
जो भी थे घर के अपने वो बैठे किनारा
मेहनत मजूरी करके वो करती थी गुजरा
करती थी झाड़ू पोछा रोज दूसरे के घर
मुश्किल से कर रही थी अपनी जिंदगी बशर
कोरस :- मुश्किल से कर रही थी अपनी जिंदगी बशर
तोड़ :- रोती थी रात दिन वो करके बेटे का ख्याल
कोरस :- रोती थी रात दिन वो करके बेटे का ख्याल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल -२
अंतरा :- बेटा था उसकी गोद में एक चार साल का
सुन्दर सलोना रूप था उस नो निहाल का
वो जीती और मरती थी बेटे के वास्ते
अरदास रोज करती थी बेटे के वास्ते
पेसो को जोड़ जोड़कर बेटे को पढ़ाया
इज्जत बड़ो की करना उसे माँ ने सिखाया
करता था अगर गलतिया तो डाटती थी माँ
तोड़ :- करती थी बड़ी लाड से बेटे की देखभाल
कोरस :- करती थी बड़ी लाड से बेटे की देखभाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- स्कूल के लिए जो जाता था रास्ता
उस रस्ते पे मंदिर था भोले नाथ का
हर रोज आते जाते सर वो अपना झुकता
खाने से पहले भोग वो भोले को लगाता
कोरस :- खाने से पहले भोग वो भोले को लगाता
मंदिर वो जाने लगा अपनी माँ के संग में
हर अंग उसका रंग गया भोले के रंग में
थोड़े से ही दिनों में वो दीवाना हो गया
होठो पे भोलेनाथ का तराना हो गया
कोरस :- हर अंग उसका रंग गया भोले के रंग में-२
तोड़ :- शिवलिंग पे जल चढ़ाता करके जाप महाकाल
कोरस :- शिवलिंग पे जल चढ़ाता करके जाप महाकाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल -२
अंतरा:- सावन का महिमा आते ही कावड़िये चल पड़े
कावड़ के लिए बेटे के अरमा अचल पड़े
आकर के बोला माँ को सुनो मेरे दिल की बात
लाएंगे हरिद्वार से हम दोनों कावड़ साथ
कोरस :- लाएंगे हरिद्वार से हम दोनों कावड़ साथ
लिखा हुआ है शासत्र में झूठी नहीं है बात
खुश होते गंगाजल से सावन में भोलेनाथ
फूली नहीं समायी माँ सुनके बेटे की बात
चलदी वो हरिद्वार को लेके बेटे को वो साथ
तोड़ :- बम बम के बोलता था जयकारे माँ का लाल -२
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
कोरस :- कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- माँ बेटे दोनों आ गए भोले की नगरिया
बाजार सजे सुन्दर दुल्हन से भी बढ़िया
जाती थी जहा तक नजर दिखती थी रौशनी
ऐसे नज़ारे बेटे ने देखे नहीं कही
कोरस :- ऐसे नज़ारे बेटे ने देखे नहीं कही
कावड़ के लिए उसने सामान ख़रीदा
फिर माँ के साथ पंहुचा गंगाघाट में सीधा
माँ गंगाजी के धार के सुन्दर थे नज़ारे
चारो तरफ से गूंजते बम बम के जयकारे
कोरस :- चारो तरफ से गूंजते बम बम के जयकारे-२
तोड़ :- गंगा जी की शोभा देखकर बेटा हुआ निहाल
गंगा जी की शोभा देखकर बेटा हुआ निहाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा बेमिसाल
अंतरा :- दोनों ने हरी की पौड़ी पर स्नान कर लिया
कावड़ सजा धजा के जल कावड़ में भर लिया
कावड़ उठा के चल दिए माँ बेटे साथ में
बढ़ते थे मंजिल की तरफ दो दिन और रात में
जब चलते चलते दोनों को दिन गए कई गुजर
तो मंदिर भोले नाथ का पड़ा उसको नजर
मंजिल करीब जानकर बेटे ने यु कहा
होता है दर्द पाव में जाता नहीं सहा
कोरस :- होता है दर्द पाव में जाता नहीं सहा
तोड़ :- विश्राम करके रात को चल देंगे प्रातः काल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- माँ बेटे चल दिए सूरज के निकलते
दिन उसका आधा ढल गया मंदिर पे पहुंचते
मंदिर के पास फूलो की फूलवाड़ी देखकर
वो कहने लगा बेटा माँ से हाथ जोड़कर
कोरस :- वो कहने लगा बेटा माँ से हाथ जोड़कर
कुछ फूल भोलेनाथ को लता हूँ तोड़कर
थोड़ा समय लगेगा अभी आया लौटकर
जैसे ही फूल तोड़े जाके उसने बाग़ में
बेटे को डसा पैर में एक काले नाग ने
कोरस :- बेटे को डसा पैर में एक काले नाग ने
तोड़ :- चिल्लाता हुआ भागा माँ की और माँ का लाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
कोरस :- कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- पल भर में नीला पैड गया उस माँ का नो निहाल
रो रो के पूरा हो गया उस पगली का बुरा हाल
मंदिर में पहुंची बेटे को गोदी में उठाकर
कहने लगी भोले से अब वो चीख चीख कर
कोरस :- कहने लगी भोले से अब वो चीख चीख कर
ए भोले नाथ तुमने क्या ये हालकर दिया
दर पे बुलाके मुझसे मेरा लाल ले लिया
पूजा के लिए तोड़े थे दो फूल लाल ने
बतलादे क्या किया था कसूर लाल ने
तोड़ :- कमसिन उम्र का भी नहीं किया तूने ख्याल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
कोरस - कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- सचमुच में तू पत्थर है भगवन नहीं है
अच्छे बुरे की तुझको पहचान नहीं है
लज्जा न आयी काटने में तेरे साप को
क्यों नागधारी कहते हो तुम अपने आप को
कोरस :- क्यों नागधारी कहते हो तुम अपने आप को
जाउंगी अब न घर में दर तेरा छोड़ कर
दे दूंगी जान अपनी सर अपना फोड़ कर
यह कहके लगी मरने सर लिंग पे बार बार
एक पल में माथे से लगी बहने लहू की धार
तोड़ :- उसके लहू से शिवलिंग हुआ पूरा लाल लाल
उसके लहू से शिवलिंग हुआ पूरा लाल लाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
कोरस :- कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- बेटे का दर्द तुमको बताऊ में भोले नाथ
एक घटना अपने घर की करो याद भोले नाथ
काटा था शीश तुमने जब अपने गणेश का
माहौल घर में हो गया मातम कलेश का
कोरस :- माहौल घर में हो गया मातम कलेश का
रो रो के गोरा माँ ने पूरा घर भर दिया
मुझे लाल जिन्दा चाहिए एलान कर दिया
गुस्से में जब माँ ने खाली का रूप धार लिया
दुष्टो का शीश काटके संहार कर दिया
कोरस :- दुष्टो का शीश काटके संहार कर दिया
तोड़ :- हाथी का सर लगा किया जिन्दा तुमने माँ का लाल
कावड़ के चमत्कार की महिमा है बेमिसाल
अंतरा :- उस पगली माँ की सुन भोले हुए विकल
बरसाई अपनी कृपा भोले ने अगले पल
शिवलिंग से नाग आ गया बेटे की लाश पे
विष चूस लिया सारा मुँह रख के घाव पे
कोरस :- विष चूस लिया सारा मुँह रख के घाव पे
बेटे ने आँखे खोल दी बमबम पुकारते
शिवलिंग पे नाग बैठा फिर फुसकार मारते
बेटे को जिन्दा देख माँ के नैन खिल पड़े
दो शब्द उसके मुख से खुद ब खुद निकल पड़े
कोरस :- दो शब्द उसके मुख से खुद ब खुद निकल पड़े
तोड़ :- जय हो तुम्हारी भोले तुम कालो के हो महाकाल
कावड़ से जिन्दा हो गया एक विधवा माँ का लाल
अंतरा :- फिर उसने श्रद्धा भाव से भोले को मनाया
कावड़ का जल भी दोनों ने शिवलिंग पे चढ़ाया
कहने लगी अपराध मेरे माफ़ कीजिये
दूषित विचारो से मेरा दिल साफ़ कीजिये
कोरस :- दूषित विचारो से मेरा दिल साफ़ कीजिये
अपनी दया का हाथ अब धर ऐसा दीजिये
गुण गाउँ तेरे उम्र भर वर ऐसा दीजिये
प्रवीण को रहे तेरा ही नशा
आखो में मुखड़ा आपका ह्रदय रहा बसा
कोरस :- आखो में मुखड़ा आपका ह्रदय रहा बसा
तोड़ :- कहता अनाड़ी भोले तेरी महिमा है कमाल
कावड़ से जिन्दा हो गया एक विधवा माँ का लाल
कोरस :- कावड़ से जिन्दा हो गया एक विधवा माँ का लाल
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