आया दुनिया से हार,
बोल छोड़ कहाँ मैं जाऊं,
तुझे सरकार,
कर लो स्वीकार,
कर दया कर,
कन्हैया कर दया कर,
आया दुनिया से हार।।
तर्ज – चल चला चल।
सुनते है जो हार के आता,
उसका साथ निभाता है,
कितनो की तक़दीर है बदली,
कितनो का तू विधाता है,
मेरा बन जा आधार,
तुझे दिखती नहीं क्या मेरे,
असुवन की धार,
कर लो स्वीकार,
कर दया कर,
कन्हैंया कर दया कर,
आया दुनिया से हार।।
कृष्णा ने बस इसी भरोसे,
कलयुग तेरे नाम किया,
पग पग देगा उसको सहारा,
हार के जो भी नाम लिया,
अब तो सुनले पुकार,
मेरी डूबी हुई नैया का तू,
बन जा खेवनहार,
कर लो स्वीकार,
कर दया कर,
कन्हैंया कर दया कर,
आया दुनिया से हार।।
नाम तेरा छलिया है लेकिन,
जग ये सारा छलावा है,
‘श्याम’ ने अपने मन मंदिर में,
केवल तुझे बिठाया है,
दे दे थोड़ा सा प्यार,
वर्ना मर जाऊंगा जो तूने,
किया इंकार,
कर लो स्वीकार,
कर दया कर,
कन्हैंया कर दया कर,
आया दुनिया से हार।।
आया दुनिया से हार,
बोल छोड़ कहाँ मैं जाऊं,
तुझे सरकार,
कर लो स्वीकार,
कर दया कर,
कन्हैया कर दया कर,
आया दुनिया से हार।।
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