Current Date: 17 Nov, 2024

कान्हा आन पड़ी तेरे द्वार

- Sadhna Sargam


F:-    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
    मोहे चाकर समझ निहार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार

F:-    तू जिसे चाहे ऐसी हीं मैं
    हां तेरी राधा जैसी नहीं मैं
    फिर भी हूँ कैसी कैसी नहीं मैं
    कृष्णा मोहे देख तो ले एक बार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार

F:-    बूंद ही बूंद मैं प्यार की चुनकर
    प्यासी रही पर लाई हूं गिरधर
    टूट ही जाए  आश की गागर
    मोहना ऐसी काकरिया ना मार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार

F:-    माटी करो या स्वर्ण  बना लो
    तन को मेरे  चरणों से लगा लो
    मुरली समझ आंखों से उठा लो
    सोचो ना  कुछ अब है कृष्ण मुरार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
    
F:-    मोहे चाकर समझ निहार चाकर समझ निहार 
    चाकर समझ निहार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार तेरे द्वार
    कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार 
 

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