Ganesh Ji Vahan: बुद्धि और ज्ञान के देवता गणपति जी के तर्क में कोई विराम नहीं है। भगवान गणेश अपनी तीक्ष्ण बुद्धि (sharp intellect) के बल पर इसे समझने के लिए हर विषय की तह तक जाते हैं। देवताओं में सबसे पहले पूजनीय भगवान गणेश का वाहन चूहा है। आइए जानते हैं कि भगवान गणेश ने अपने वाहन को चूहे के रूप में क्यों चुना? इसके पीछे की कथा क्या है।
गणेश का वाहन चूहे से पहले गंधर्व था।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार इंद्र देव अपनी बैठक में किसी गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे थे। क्रौंच नाम का एक गंधर्व भी वहां मौजूद था। इस दौरान वह कोई अनुचित काम कर सभा में खलल डाल रहे थे। ऐसे में क्रंच का पैर गलती से मुनि वामदेव पर लग गया। क्रोध में मुनि वामदेव ने क्रोनचा को चूहा बनने का श्राप दे दिया। मुनि वामदेव के इस श्राप के कारण वह एक विशाल चूहा बन गया।
मुनि वामदेव ने गंधर्व को श्राप दिया
ऋषि के श्राप से अचेत होकर वे सीधे पराशर ऋषि के आश्रम में गिर पड़े। वहाँ वह बहुत अहंकारी था। उसने सभी मिट्टी के बर्तनों को तोड़ दिया, आश्रम के बगीचे को नष्ट कर दिया और सभी के कपड़े और ग्रंथों को काट दिया। आश्रम का सारा भोजन समाप्त हो गया। उस दौरान भगवान गणेश भी वहां मौजूद थे। उन्होंने चूहे को पकड़ने के लिए अपना फंदा (loop) फेंक दिया।
ऐसे मूषक बना भगवान गणपति का वाहन
भगवान गणेश के फंदे ने पाताल लोक से चूहा पाया और उसे गजानन जी के सामने प्रस्तुत किया। चूहे के गले में फंदा बंधा हुआ था, जिससे वह बेहोश हो गया। होश में आने के बाद उन्होंने गणेश जी से अपने जीवन की भीख मांगी। गणेश ने मूषक से वरदान मांगने को कहा तो उसने मना कर दिया। मूषक ने कहा कि तुम चाहो तो मुझसे वर मांग सकते हो। मूषक की ये गर्व भरी बातें सुनकर गणेश जी मुस्कुराए और बोले, तुम मेरे वाहन बनो। इस तरह मूषक गणेश जी की सवारी बन गया।
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