कैसे हुआ था बजरंगबली का जन्म
एक बार भगवान इंद्र ऋषि दुर्वासा द्वारा आयोजित स्वर्ग में एक औपचारिक बैठक में भाग ले रहे थे। तब उस समय हर कोई एक गहन मंथन में डूबा था। पुंजिकस्थली नाम की एक अप्सरा अनजाने में उस बैठक में विघ्न पैदा कर रही थी। तभी ऋषि दुर्वासा ने उसे ऐसा नहीं करने को कहा।
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ऋषि दुर्वासा की कही गई बातों को उस अप्सरा ने अनसुना कर दिया। यह देख कर वो नाराज हो गए। तब ऋषि दुर्वासा ने उसे श्राप देते हुए कहा कि तुमने एक बंदर की तरह काम किया है। इसलिए तुम उसी प्रकार एक बंदरिया बन जाओ। ऋषि दुर्वासा के शाप की बात सुनकर अप्सरा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो उनसे रोते हुए क्षमा मांगने लगी।
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अप्सरा ने ऋषि दुर्वासा से कहा कि कि हे ऋषि मुझे क्षमा कर दें। मैं आपको परेशान करने के लिए यह काम नहीं कर रही थी। मुझे इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था कि मेरी ऐसी मूर्खता का मुझे ऐसा परिणाम मिलेगा। ऋषि दुर्वासा ने उसकी विनम्र विनती को देखकर अप्सरा से कहा कि हे प्रिय तुम रो मत।
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अगले जन्म में तुम एक भगवान से शादी करोगी। लेकिन वह एक बंदर होगा और तुम्हारा जो पुत्र होगा वह बंदर ही होगा जो बहुत ही शक्तिशाली होगा र भगवान श्री राम का प्रिय भक्त होगा। यह सुनकर पुंजिकस्थली ने ऋषि दुर्वासा को नमस्कार करते हुए दिए गए श्राप को स्वीकार किया।
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तब माता अंजना का जन्म बंदर भगवान विराज से हुआ। जब माता अंजना विवाह योग्य हो गई तब उनकी शादी बंदर भगवान केसरी से हुई थी। इसके बाद माता अंजना अपने पति के साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगी। अंजना और केसरी एक शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। एक दिन शंखबल नामक जंगली हाथी ने अपना नियंत्रण खो दिया और हंगामा खड़ा कर दिया।
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कई लोगों की इस हंगामे में जान चली गई। कितने ऋषि इस वजह से अपना अनुष्ठान पूरा नहीं कर सके। भगवान केसरी श्री शंखबल से बेहद प्रेम करते थे। भगवान केसरी ने अपने प्रिय हाथी को जब मार डाला तो वह बहुत शोक में डूब गए। यह देखकर संतों ने उन्हें यह वरदान दिया कि तुम्हारे घर एक बच्चा जन्म लेगा जो बहुत ही शक्तिशाली और हवा की शक्ति और गति के बराबर रहेगा। तब इस प्रकार भगवान केसरी के घर में माता अंजना ने भगवान श्री हनुमान को जन्म दिया। यहीं उनके जन्म की कहानी है, इसलिए उन्हें अंजनी पुत्र और पवन पुत्र कहा जाता है।
How Bajrangbali was born
Once Lord Indra was attending a formal meeting in heaven organized by sage Durvasa. Then at that time everyone was immersed in a deep churning. An apsara named Punjikasthali was unknowingly creating disturbance in that meeting. Then sage Durvasa asked him not to do so.
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That Apsara unheard the words of Rishi Durvasa. Seeing this, he got angry. Then sage Durvasa cursed him saying that you have acted like a monkey.
That's why you become a monkey in the same way. After listening to the curse of sage Durvasa, Apsara realized her mistake and started crying and asking for his forgiveness.
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Apsara asked sage Durvasa to forgive me, O sage. I wasn't doing this to upset you. I had no idea that my foolishness would lead to such consequences. Sage Durvasa seeing her humble request said to Apsara that O dear don't cry.
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In the next life you will marry a god. But he will be a monkey and your son will be a monkey who will be very powerful and will be a dear devotee of Lord Shri Ram. Hearing this, Punjikasthali accepted the curse while saluting sage Durvasa.
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Then mother Anjana was born to the monkey god Viraj. When mother Anjana became marriageable, she was married to the monkey god Kesari. After this, mother Anjana started living a happy married life with her husband. Anjana and Kesari were living a peaceful life. One day a wild elephant named Shankhbal lost his control and created a ruckus.
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Many people lost their lives in this uproar. Many sages could not complete their rituals because of this. Lord Kesari loved Shri Shankhbal very much. When Lord Kesari killed his beloved elephant, he was deeply grieved. Seeing this, the sages gave him a boon that a child would be born in your house. Which will be very powerful and equal to the power and speed of the wind. Then thus in the house of Lord Kesari, Mother Anjana gave birth to Lord Shri Hanuman. This is the story of his birth, hence he is called Anjani Putra and Pawan Putra.
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