Current Date: 22 Nov, 2024

कैसे हुआ भगवान श्री गणेश का जन्म (Kaise Hua Bhagwan Shree Ganesh Ka Janam)

- The Lekh


कैसे हुआ भगवान श्री गणेश का जन्म

शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई। इसके बाद माता पार्वती स्नान करने चली गई और गणपति को आदेश दिया कि तुम द्वार पर बैठ जाओ और किसी को भी अंदर मत आने देना। 

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कुछ देर बाद वहां  भगवान शिव आए और कहा कि उन्हें पार्वती जी से मिलना है। द्वारपाल बने भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद शिवगणों और भगवान गणेश के बीच भयंकर युद्ध किया लेकिन कोई भी उन्हें हरा नहीं सका फिर क्रोधित शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट डाला। जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो रोने लगीं और प्रलय करने का निश्चय कर लिया। इससे देवलोक भयभीत हो उठा फिर देवताओं ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया।

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भगवान शिव ने गरुड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सो रही हो उस बच्चे का सिर ले आओ। गरुड़ जी की काफी देर बाद तक ऐसा कोई नहीं मिला। अंततः एक हथिनी नजर आई। हथिनी का शरीर ऐसा होता है कि वो बच्चे की तरह मुंहकर नहीं सो सकती। तो गरुड़ जी उस शिशु हाथी का सिर काट कर ले आए।शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। पार्वती उसे पुनः जीवित देख बहुत खुश हुई और तब समस्त देवताओं ने बालक गणेश को आशीर्वाद दिए। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश पूजा से होगी तो वो सफल होगा। उन्होंने गणेश को अपने समस्त गणों का अध्यक्ष घोषित करते हुए आशीर्वाद दिया कि विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

How Lord Shri Ganesh was born

According to Shivpuran, once Mother Parvati had applied turmeric paste on her body before taking bath. After this, when he removed the boil, he made an effigy out of it and put his life in it. This is how Lord Ganesha was born. After this Mother Parvati went to bathe and ordered Ganapati to sit at the door and do not allow anyone to enter.

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After some time Lord Shiva came there and said that he has to meet Parvati. Lord Ganesha, who became the gatekeeper, stopped him from going inside. After this there was a fierce war between Shivganas and Lord Ganesha but no one could defeat them, then enraged Shivji cut off the head of child Ganesha with his trishul. When Mother Parvati came to know about this, she started crying and decided to do holocaust. Due to this Devlok got scared, then the gods praised him and pacified him.

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Lord Shiva told Garuda to go in the north direction and bring the head of any mother who is sleeping with her back towards her child. No one like this was found till a long time after Garud ji. At last an elephant appeared. The body of an elephant is such that it cannot sleep like a baby. So Garuda ji cut off the head of that baby elephant and brought it. Shiva revived it by placing it on the trunk of the child. Parvati was overjoyed to see him alive again and then all the gods blessed the child Ganesha. Lord Shiva blessed him that any auspicious work would be successful if it starts with Ganesh Puja. Declaring Ganesha as the president of all his ganas, he blessed that Ganesha's name would be paramount in destroying obstacles. That is why Lord Ganesha is also called Vighnaharta.

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