Current Date: 17 Nov, 2024

कहाँ छुप गया तू

- श्री चित्र विचित्र जी महराज।


कहाँ छुप गया तू,
कहाँ तुझको ढूँढू,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत,
मन वीणा की,
टूटी है तारे,
बिखरा मेरा संगीत,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत।।

क्या थी वो राते,
जिन रातो में,
गीत तुम्हारे गाये थे,
सात सुरो की,
खुशबू से उन,
गीतों को महकाये थे,
ना जी सकूँगा,
ना मर सकूँगा,
मेरी रह गई,
अधूरी रीत,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत।।

चुन चुन भावों की,
कलियों से,
तुझको कभी सजाया,
बिन बोले ही प्रीतम प्यारे,
कभी दिल का दर्द सुनाया,
घुटने लगा है,
दम प्राणों का,
ये स्वासे रह जाये बीत ,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत।।

गम देने वाले,
दर्द ये दिल का,
मुश्किल हुआ अब सहना,
दिल की दिल में रह गई मेरे,
अब तुमसे नहीं कुछ कहना,
देखेगी दुनिया,
मोहब्बत तरुण की,
भारी आ गई जीत,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत।।

कहाँ छुप गया तू,
कहाँ तुझको ढूँढू,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत,
मन वीणा की,
टूटी है तारे,
बिखरा मेरा संगीत,
ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत।।

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