Current Date: 18 Nov, 2024

कभी माँ के द्वारे पे

- अविनाश कर्ण


गमे जिंदगी फूल,
बनकर खिलेगी,
कभी माँ के द्वारे पे,
आकर तो देखो,
तेरे दर्द गम सारे,
पल में मिटेंगे,
कभी दर्दे गम तुम,
सुनाकर तो देखो।।

तर्ज – सांवरे को दिल में।

बिगड़ा मुकद्दर बनाती है मैया,
रोते हुए को हँसाती है मैया,
मेरी माँ के दर पे सबकुछ मिलेगा,
कभी अपनी झोली फैलाकर तो देखो,
कभी माँ के द्वारे पर,
आकर तो देखो,
गमे जिंदगी फूल,
बनकर खिलेगी,
कभी माँ के द्वारे पर,
आकर तो देखो।।

बिछड़े हुओं को मिलाती है मैया,
डूबे हुओं को बचाती है मैया,
नहीं इसके जैसा दयालु जहाँ में,
कभी सच्चे दिल से बुलाकर तो देखो,
कभी माँ के द्वारे पर,
आकर तो देखो,
गमे जिंदगी फूल,
बनकर खिलेगी,
कभी माँ के द्वारे पर,
आकर तो देखो।।

गमे जिंदगी फूल,
बनकर खिलेगी,
कभी माँ के द्वारे पे,
आकर तो देखो,
तेरे दर्द गम सारे,
पल में मिटेंगे,
कभी दर्दे गम तुम,
सुनाकर तो देखो।।

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।